जॉनी ने निर्माता के तौर पर ‘मंजिलें और भी हैं’, ‘मेरा दोस्त मेरा दुश्मन’, ‘फिर तेरी कहानी याद आई’, ‘विश्वासघात’, ‘रावन’ और ‘इस रात की सुबह नहीं’ जैसी कई फिल्में कीं। उनके कॅरियर की आखिरी फिल्म हिमेश रेशमिया के साथ ‘कजरारे’ (2010) थी। इसके अलावा जॉनी इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईएमपीपीए) के सक्रिय सदस्यों में से एक थे। उन्होंने हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता मार्लोन ब्रैंडो से प्रेरित होकर अपने बेटे का नाम ब्रैंडो रखा था। जॉनी ने कई वर्षों तक राज खोसला के सहायक के रूप में काम किया।
जॉनी के निधन पर अभिनेता कुणाल कोहली ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा,’ जॉनी सर के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। उनसे प्लस चैनल के दिनों में महेश भट्ट और अमित खन्ना के साथ मुलाकात हुई थी। वह बहुत मदद करने वाले इंसान थे। हमेशा मुस्कुराते थे। फिल्म इंडस्ट्री के वह पुराने संरक्षकों का हिस्सा थे।
अनुपम खेर ने कहा कि वे मुंबई की मेरी आरंभिक लाइफ का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। वह एक निर्माता, मित्र, एक सहयोगी और मोटिवेटर थे। उनकी हंसी मेंं ऐसा आकर्षण था कि आसपास के लोग हमेशा खुश रहते थे। शबाना आजमी ने लिखा,’ आज सुबह जॉनी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। मेरे कॅरियर के प्रारंभिक चरण में उनके साथ ‘विश्वासघात’ नाम की फिल्म की थी। उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं जताती हूं।’