यह फिल्म 1972 को रिलीज हुई। इसमें कई सीन तो ऐसे थे, जो स्क्रिप्ट में भी नहीं थे। इसकी रिलीज के बाद रीना को अपनी पहली ही फिल्म से एक टैग मिल गया-‘जरूरत गर्ल’।
फिल्म ‘जरूरत’ की कहानी रीना की असल जिंदगी से काफी हद तक मिलती थी। फिल्म की कहानी एक लडक़ी के इर्द-गिर्द घूमती है। लडक़ी गांव से शहर आती है, जिसकी जरूरत नौकरी और दौलत होती है…कुछ ऐसा ही उस समय रीना को असल जिंदगी में भी चाहिए था। चूंकि, बॉलीवुड में रीना का कोई गॉडफादर नहीं था, ऐसे में डायरेक्टर ने उनकी मजबूरी का जमकर फायदा उठाया।
इसके बाद 1973 में आई ‘जैसे को तैसा’। इस फिल्म में उनके अपोजिट जितेंद्र थे। इस फिल्म का गीत-संगीत खूब पसंद किया गया था। रीना और जितेंद्र पर फिल्माया गया गीत ‘अब के सावन में जी डरे’ में दोनों की केमिस्ट्री जबरदस्त थी। चूंकि, रीना की पहली फिल्म से जो इमेज बनी थी, उससे छुटकारा पाना उनके बेहद मुश्किल था। जैसे को तैसाा के हिट होने के बाद भी फिल्मकार उनके पास वैसे ही रोल लेकर आते थे, जिन्हें वो करना नहीं चाहती थीं।
आखिरकार, उन्हें एक ऐसी फिल्म मिल गई, जो उनके कॅरियर की टर्निंग पॉइंट साबित हुई। फिल्म थी ‘कालीचरण’। सन 1976 में आई इस फिल्म में उनके अपोजिट थे उस समय के जाने-माने एक्टर शत्रुघ्र सिन्हा। फिल्म का एक गीत- ‘जा रे जा ओ हरजाई’ खूब बजा…। इसके बाद रीना फिर कभी पीछे मुडक़र नहीं देखीं… रीना और शत्रुघ्र की जोड़ी भी चली… ऑन स्क्रीन भी और ऑफ स्क्रीन भी…।