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एफटीआईआई : छात्रों के मुद्दों पर घिरे अनुपम खेर

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7 years ago
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नयू कोर्स फिक्शन राइटिंग फॉर टेलीविजन में लघु कोर्स में 20 दिनों की अवधि के लिए हर छात्र से 20,000 रुपए बतौर शुल्क लिए जा रहे हैं, जिसे हम अल्पकालिक कोर्स के लिए और साथ ही समाज के कुछ वर्गों के छात्रों के लिए भी काफी शुल्क समझते हैं।
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एक सरकारी संस्थान जो सभी वर्गों के छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए है, वह निधि उत्पादन के एजेंडे से प्रेरित नहीं होना चाहिए, वर्तमान में इन पाठ्यक्रमों का उद्देश्य वहीं होना चाहिए, जो राष्ट्र के दूसरे सरकारी संस्थानोंं/विश्वविद्यालयों का है।
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ओपन डे और स्थापना दिवस जैसे सम्मेलनों पर भारी भरकम राशि खर्च करने की बजाय, प्रशासन को बुनियादी ढांचे, उपकरणों की खरीद और मरम्मत पर खर्च करने की जरूरत है, जो कि उनकी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में मदद करेगी।
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कार्यशालाओं और कक्षाओं को सेमेस्टर के दौरान कम कर दिया जाता है, जैसे कि वर्तमान में नए क्रेडिट-आधारित प्रणाली को लेकर शिक्षकों में उभरा भ्रम।
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जब छात्रों ने इस नए परिवर्तन पर सवाल उठाया, तो उन्हें बताया गया कि मानदंड एक समान रहेंगे और जब यह निर्णय लिया गया कि छात्रों ने इसका बहिष्कार किया है, तो पांच छात्रों को बिना कोई कारण बताओ नोटिस दिए निलंबित किया गया।
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संस्थान के पास कोर्स को चलाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं है जिसके कारण उनका सिलेबस प्रभावित हो रहा है।
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एफटीआईआई उन फिल्म निमार्ताओं को बनाता रहा है, जो विभिन्न मंचों पर काम कर रहे हैं। कुछ लोग उद्योगों में काम नहीं करना पसंद करते हैं और दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं। लेकिन विभिन्न मामलों में छात्रों को उद्योग अभ्यास को देखने के लिए कहा गया है, जहां सिनेमा को सिर्फ एक वस्तु के रूप में देखा जा रहा है, न कि एक कला के रूप में...।
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