नई दिल्ली। 5 मई का दिन संगीत प्रेमियों के लिए खास मायने रखता है, 5 मई को ही कैसेट किंग के नाम से मशहूर गुलशन का जन्म हुआ था। गुलशन कुमार की ज़िंदगी से जुड़े किस्से आज हज़ारों लाखों युवाओं को प्रेरणा देती हैं। ये किस्सा है एक आम इंसान से कैसेट किंग तक का सफर तय करने का। गुलशन कुमार शुरुआती दिनों में दिल्ली में पिता की जूस की दुकान में हाथ बंटाते थे लेकिन उनका इरादा इससे हट कर खास मुकाम हासिल करने का था। पहले तो गुलशन कुमार ठेले पर सस्ती कैसेट बेचने लगे और यहीं से उन्हें प्रेरणा मिली लोगों को सस्ती कैसेट और संगीत के माध्यम से मनोरंजन परोसने का। उनदिनों नवोदित कलाकरों के लिए कोई ऐसा मंच नहीं था जिसके माध्यम से वो अपने संगीत को जन जन तक पहुंचा सकें, ऐसे में गुलशन कुमार देश के युवाओं के लिए नई उम्मीद बने, तो संगीत प्रेमियों के लिए सस्ता और मनोरंजन का बेहतर साधन।
जल्द ही गुलशन कुमार और उनकी कंपनी लोगों की ज़ुबान पर रच बस गई। लेकिन 12 अगस्त 1997 को संगीत का ये कारवां उस वक्त थम गया जब गुशन कुमार पर ताबड़ तोड़ फायरिंग कर उन्हें हमेशा हमेशा के लिए मौत की आगोश में सुला दिया गया।
दरअसल हमेशा की तरह गुशन कुमार सुबह उठ कर हाथ में पूजा का सामना ले कर अंधेरी के जीतेश्वर महादेव मंदिर पूजा के लिए गए, लेकिन लौटते समय उनकी पीठ पर बंदूक की नोक रख दी गई और वो कुछ समझ पाते तब तक उनपर 16 गोलियां दाग दी गईं जिससे गुशन कुमार की घटना स्थल पर ही मौत हो गई।