सईद अख्तर मिर्जा का नाम बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान के लिए जाना जाता है। उन्हें उनकी लीक से हटकर बनाई फिल्में जैसे मोहन जोशी हाजिर हो, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, सलीम लंगडे पर मत रो के लिए याद किया जाता है।
मुम्बई में 30 जून 1943 को जन्मे सईद अख्तर मिर्जा ने टेलीविजन जगत को नुक्कड़ और इंतजार जैसे धारावाहिकों से एक नई पहचान दी। उन्होंने अपनी करियर एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री से किया। उनकी पहली फिल्म अरविंद देसाई की अजीब दास्तान को फिल्मफेयर क्रिटिस अवॉर्ड फॉर बेस्ट मूवी से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1995 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद उन्होंने अपनी आखिरी फिल्म नसीम बनाई और देश भर में घूमने के लिए निकल पड़े। बाद में अपनी इन्ही यादों को अपने उपन्यास “अम्मी: लैटर टू ए डेमोक्रेटिक मदर” में प्रस्तुत किया। सईद अख्तर मिर्जा एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन के आजीवन सदस्य भी है।