स्टेजप्ले करना जरूरी था:
एक साक्षात्कार में जब उनसे रंगमंच से जुड़ने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,’मैं फिल्म इंस्टीट्यूट (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे) से हूं और एक्टिंग का डिप्लोमा किया हुआ है, तो वहां पर कोर्स में स्टेजप्ले करना कंपल्सरी था। ट्रेनिंग का पार्ट था वह। जब आप स्टेज पर प्ले करते हैं तो दर्शक सामने बैठा होता है। आमने-सामने मुलाकात होती है। फिल्म में अभिनय करते समय सामने सिर्फ कैमरा होता है, तो आपको पता नहीं चलता कि दर्शक क्या रिएक्शन कर रहे हैं, वे तो हमको देख सकते हैं, लेकिन हम उनको देख नहीं सकते।
कभी डबल मीनिंग वाले शब्दों का प्रयोग नहीं किया:
आजकल कॉमेडी शोज में द्विअर्थी शब्दों वाले संवादों का प्रयोग करने का चलन बढ़ता जा रहा है, यह बात छेडऩे पर असरानी ने कहा,’अगर आपने मेरी शुरुआती फिल्में देखी हों तो उसमें भी हमने ऐसा कुछ नहीं किया है। हमने न कभी डबल मीनिंग वाले शब्दों का प्रयोग किया है और न कभी करेंगे। जो लोग करते हैं, उनसे हमें कोई मतलब नहीं है।’
दर्शकों के सामने अभिनय करने पर होता है दबाव महसूस
यह पूछे जाने पर कि क्या दर्शकों के सामने अभिनय करने पर वह कोई दबाव महसूस करते हैं? उन्होंने कहा,’बिल्कुल होता है, पहले जब हम नया स्टेजप्ले शुरू करते हैं तो उस वक्त तो होता ही है कि…भाई किस तरह के दर्शक आए हुए हैं। मगर जब हम बार-बार करते हैं, तो हमको मालूम पड़ता है कि दर्शक कहां-कहां पर रिएक्शन करेंगे। अब हमारा ये 12वां शो है।’