संजय लीला भंसाली के पिता एक प्रोड्यूसर थे। फिल्में नहीं चलने की वजह से वो शराब में डूब गए। हालात ऐसे हो गए कि उनकी मां ने साबुन बेचकर अपने बच्चों को पाला। बाद में संजय के पिता को लिवर सिरोसिस हो गया और वो कोमा में चले गए। वहीं कोमा से बाहर आने और मौत से पहले उन्होंने अपनी पत्नी लीला से प्यार का इज़हार किया। लीला इस लम्हे के लिए पता नहीं कितने सालों से इंतज़ार कर रही थीं। यही वो पल था जब उन्होंने अपनी पत्नी से पहली और आखिरी बार अपने प्यार का इज़हार किया था। लीला से प्यार का इज़हार करते ही संजय के पिता की मौत हो गई। इस बात का खुलासा संजल लीला ने एक इंटरव्यू में किया था। इस घटना के बाद उन्होंने शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की ‘देवदास’ पढ़ी और फिल्म बना दी।
यह भी पढ़े- ‘दिलजले’ के लिए अजय देवगन नहीं ये थे पहली पसंद, एक्टर ने दाढ़ी कटवाने की शर्त पर छोड़ी थी फिल्म
दरहसल मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर भरत शाह इस फिल्म में पैसा लगा रहे थे। भरत शाह की गिरफ्तारी अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन मामले में हुई थी। भरत शाह बड़े प्रोड्यूसर थे। एक साथ कई फिल्में प्रोड्यूस करते थे। जब उन्हें मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया, तब 11 फिल्मों में उनका पैसा लगा हुआ था। इन्हीं में से एक थी सलमान खान, रानी मुखर्जी और प्रीति जिंटा स्टारर ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’। इसमें पैसा भरत का लगा था लेकिन भरत की जगह किसी नज़ीम रिज़वी का नाम लिखा जाता था। नज़ीम छोटा शकील का खास आदमी था। नज़ीम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। नज़ीम से पुलिस को पता चला की भरत के प्रोडक्शन में बन रही फिल्मों में अंडरवर्ल्ड का पैसा लगा हुआ है। भरत को मकोका के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। तब भरत के प्रोडक्शन में बन रही सबसे बड़ी फिल्म ‘देवदास’ थी। ‘देवदास’ की शूटिंग का प्रतिदिन खर्चा 7 लाख रुपए था। भरत की गिरफ्तारी के बाद सबसे पहले ‘देवदास’ की शूटिंग कैंसिल हुई थी। भंसाली परेशान थे कि उनकी पिक्चर कहीं डिब्बाबंद न हो जाए। लेकिन भरत शाह जेल से बाहर आए और देवदास फिल्म की शूटिंग एक बार फिर से शुरू हुई। फिल्म को बनाने में 50 करोड़ रुपए से ज़्यादा का खर्च आया था।
इस फिल्म की शूटिंग में 275 दिन, 2500 लाइट, लाइट्स को चलाने के लिए 700 लाइट मैन, 6 अलग-अलग सेट, 42 जेनरेटर और 30 लाख वॉट की पावर सप्लाई लगती थी। आम तौर फिल्मों की शूटिंग में 2-3 जेनरेटर लगते थे। मुंबई के सारे जेनरेटर भंसाली के सेट पर होते थे। इसके चलते मुंबई में शादी करने वाले लोगों को जेनरेटर नहीं मिल रहा था और शादियां टल रही थीं। पारो के घर को बनाने में 1,57,000 रंगीन शीशे के टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया था।