मुंबई। भारतीय मूल की मॉडल विराली मोदी बचपन से ही मॉडलिंग और एक्टिंग में नाम कमाना चाहती थी, लेकिन मलेरिया ने उनसे ये मौका छीन कर उन्हें व्हीलचेयर तक सीमित कर दिया। विराली अमरीका में रहती थी, उन्होंने 13 साल की छोटी उम्र में अमरीका से मॉडलिंग और एक्टिंग की पढ़ाई की।
एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक 2006 में 14 साल की उम्र में वे मुंबई आई थी। वापस अमरीका जाते वक्त विराली एंटी-मलेरिया का इंजेक्शन लेना भूल गई। उनका दावा है कि उन्हें इस दौरान एक इंटरनेशनल सॉफ्टड्रिंक की मॉडलिंग के लिए साइन किया गया था, लेकिन मलेरिया के चलते उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। हॉस्पिटल में विराली की हालत सुधरने की बजाए और बिगड़ गई और वे कोमा में चली गई।
डॉक्टर्स ने उन्हें क्लिनिकली मृत घोषित कर दिया था, लेकिन कुछ ही मिनट में वे उनमें वापस चेतना आ गई। हालांकि बाद में उन्हें अहसास हुआ कि वे खड़ी नहीं हो सकती है। इसके बाद व्हीलचेयर ही विराली की जिंदगी बन गई। इस बुरे दौर से गुजरते हुए विराली ने बिल्कुल हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा करने की जी-तोड़ कोशिश की। 2008 में विराली मुंबई आ गई और जाने-माने न्यूरोसर्जन डॉ. आलोक शर्मा से इलाज करवाया। डॉ. शर्मा ने एक अंग्रेजी वेबसाइट को बताया कि विराली मेरी देखभाल में पिछले 4 सालों से है। वे मेरे पास डेमेज स्पाइल कोर्ड और सुजन के साथ आई थी, जो किसी इंफेक्शन के कारण हुआ था। इसके चलते वे व्हीलचेयर पर आ गई थी।
विराली को स्टीम सेल थैरेपी दी गई। कुछ वक्त बाद उनमें इंप्रूवमेंट दिखा। अब विराली सहारे के साथ चल सकती थी और अपने रोज के काम कर सकती थी। पिछले साल विराली ने मिस व्हीलचेयर ब्यूटी कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया, जहां वे रनर-अप रही। विराली का कहना है कि मुझे पूरा यकीन था कि एक दिन में जरूर चल पाऊंगी, मैं बहुत खुश हूं कि अब मैं अपना मॉडलिंग और एक्टिंग का ख्वाब पूरा कर पाऊंगी। पिछले हफ्ते ही मुझे एक फेमस फिल्म डायरेक्टर ने ऑडिशन के लिए बुलाया है। उन्होंने मुझे व्हीलचेयर ब्यूटी कॉन्टेस्ट में देखा था। विराली बॉलीवुड में काम करना चाहती है और डिसएबल लोगों के लिए जागरूकता फैलाना चाहती है।
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