लॉकडाउन के चलते जीवन में आए बदलाव पर जितेन्द्र ने कहा, उन पर लॉकडाउन का कोई ज्यादा असर नहीं पड़ा। क्योंकि वे पहले भी ज्यादा घर से बाहर नहीं जाते थे और अब भी वैसा ही है। जितेंद्र ने कहा, ‘मैंने इस लॉकडाउन में देखा कि जब मैं एक्टर था तो मैं अपने बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाते थे, लेकिन मैंने नोटिस किया कि मेरा बेटा तुषार बिल्कुल भी मेरे जैसा नहीं है। वह अपने बेटे को पूरा समय देता है।’
हाल ही में जीतेंद्र ने पुराने वक्त को याद करते हुए बताया कि जब वो बिजी रहते थे तो अपने बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाते थे। उन्होंने ये भी कहा कि ‘मेरे लिए यूं तो ज्यादा बदलाव नहीं आए हैं। मैं काम के लिए ज्यादा घर से बाहर नहीं जाता था। ऐसे में मेरे लिए सब पहले जैसे ही है।’
उन्होंने कहा, ‘इस लॉकडाउन में मैंने ये महसूस किया है कि जब मैं एक्टर था तो अपने बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाया लेकिन मैंने देखा कि मेरा बेटा तुषार बिल्कुल भी मेरे जैसा नहीं है। वो अपने बेटे को पूरा समय देता है। जब मैं तुषार को देखता हूं तो गर्व महसूस करता हूं। वो कितना अच्छा पिता है। मैं उसका एक प्रतिशत भी नहीं था। ये आभास मुझे उम्र और लॉकडाउन के साथ-साथ हुआ है। जाहिर तौर पर आप मरते दम तक कुछ न कुछ सीखते ही रहते हो।’