scriptकैलाश खेर की पत्नी हुई थी योन शोषण का शिकार, करने वाली थी आत्महत्या लेकिन… | kailash kher wife sheetal bhan face sexual abuse wanted to suicide | Patrika News

कैलाश खेर की पत्नी हुई थी योन शोषण का शिकार, करने वाली थी आत्महत्या लेकिन…

Published: Oct 12, 2017 10:42:58 am

Submitted by:

Riya Jain

कैलाश खेर की पत्नी हुई थी योन शोषण का शिकार, करने वाली थी आत्महत्या लेकिन…

kailash kher and his family

kailash kher and his family

खबर है की बॉलीवुड इंडस्ट्री के मशहूर सिंगर कैलाश खेर की पत्नी शीतल भान की जिंदगी में कभी एसा वक्त भी आया था जब उन्होंने दुखों से हार मानकर सुसाइड करने का मन बना लिया था। लेकिन शीतल ने उस कठिन वक्त में हार ना मानते हुए संघर्ष करने का मन बनाया और मौत के बजाय जिंदगी का रास्ता चुना। बता दें शीतल भान पेशे से लेखिका हैं। उनकी शादी आठ साल पहले कैलाश खेर से हुई थी। हाल में शीतल भान ने हिन्दुस्तान टाइम्स से अपनी जिंदगी के अनुभवों को शेयर किया। शीतल ने बताया की जब वो 15 साल की थीं तभी उनका यौन शोषण हुआ था। मेरे साथ बचपन में ही यौन शोषण हुआ था, दुर्भाग्य से हमारे परिवार में इस बारे में बात करने की परंपरा नहीं है, इस दौरान मैं ऐसी पीड़ा से गुजरी थी कि मेरे मन में आत्महत्या के विचार आने लगे थे। उन्होंने बताया की कि ज्यादातर समय ऐसे शख्स हमारे जानने वाले होते हैं, लेकिन आप इनसे निपटते कैसे हैं ये अहम है। दिक्कत ये है कि हमारे यहां बात करने की पंरपरा नहीं है, अगर कोई बच्चा अचानक से चुप हो जाए, बात करना बंद कर दे तो उसकी काउंसलिंग के लिए कोई जगह नही है।

अपने अनुभवों के बताते हुए उन्होंने कहा की,- मैंने जिंदगी में एक बार ही सुसाइड की कोशिश की है। दूसरी बार जब मैंने ऐसा करने की कोशिश की तो वो अपने आप को नुकसान पहुंचाने जैसा था। शीतल के मुताबिक तब मैं 15 साल की थी और जब मैं ऐसा करना चाह रही थी उस वक्त मेरे साथ गलत हो रहा था, लेकिन अपने दर्द को बांटने के लिए मेरे पास कोई नहीं था। जिसे मैं इन चीजों के बारे में बता पाती। शीतल भान आजकल के अभिभावकों से अपील करती हैं कि अपने बच्चे पर बेहद ध्यान दें। उसकी हरकतें, उसकी आदतें इन सब पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

इस वाक्या के बाद से शीतल का मनना है की हर बच्चे के माता-पिता उन्हें प्यार करते हैं, लेकिन ऐसा क्यों है कि बच्चे अपनी दिक्कतें उन्हें नहीं बताते हैं। ये आस पास का माहौल और परिस्थितियां होती हैं। शीतल ने बताया की वे अच्छी छात्रा नहीं थी, उनके नंबर अच्छे नहीं आते थे। इससे उन्हें यकीन होने लगा कि वो अपनी मम्मी-पापा की बदनामी कर रही है। शीतल के मुताबिक बच्चा होने के नाते अपने आपको दोष देना आसान होता है। इसके बाद बच्चे हद पार कर जान देने में भी नहीं चूकते हैं। उन्होंने संघर्ष के दौर में जीवन के सकारात्मक पक्ष को देखा। जब वह कॉलेज गईं तो कई ऊर्जावान लोगों से मिली और यहीं से उनकी जिंदगी ने अलग मोड़ ले ली।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो