मल्लाना ग्राम स्थित रेस्ट हाउस सिंचाई विभाग की अनदेखी के कारण दुर्दशा का शिकार हो रहा है। इस रेस्ट हाउस में महाराजा मंगल सिंह व जयसिंह अवकाश के दौरान ठहरते थे।
मल्लाना ग्राम स्थित रेस्ट हाउस सिंचाई विभाग की अनदेखी के कारण दुर्दशा का शिकार हो रहा है। इस रेस्ट हाउस में महाराजा मंगल सिंह व जयसिंह अवकाश के दौरान ठहरते थे।
यह रेस्ट हाउस लगभग एक बीघा के भूमि में बना हुआ है। इस रेस्ट हाउस में जिला कलक्टर रात्रि विश्राम करते थे और गांववासियों के साथ वार्ता कर क्षेत्र की समस्याओं को सुनते थे। इस रेस्ट में वीआईपी तथा विदेशी मेहमान भी आते थे।
सुविधा सम्पन्न इस रेस्ट हाउस को सुविधा सम्पन्न बनाया गया था। इसमें रोशनी व्यवस्था, रसोई घर, शौचालय, बरामदा, बड़ा हॉल, आरामदायक गद्दे, रजाई, सोफा सेट, कुर्सी-टेबल थे। लेकिन अब यह मवेशियों का आश्रय स्थल बन गया है। इसके गेट, दरवाजे, बरामदों में पक्षियों ने डेरा जमा रखा है।
उनकी बीट से गन्दगी फैली है। शौचालय एवं रसोई घर के दरवाजे खराब हो चुके हैं। कुछ को मवेशियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया।
स्थानीय निवासी बाबूलाल , बक्षी राम मीना, दयाराम मीना, ओमंकार ने बताया कि सिंचाई विभाग ने लगभग दो वर्ष पूर्व इस रेस्ट हाउस से सामान हटा दिया। इसके बाद से यहां कोई नहीं ठहरता। अब यह मवेशियों का आश्रय स्थल बन चुका है।
महकता था परिसरमंगलसर बांध एवं मानसरोवर बांध के निमार्ण के समय ही इस रेस्ट हाउस का निर्माण कराया गया था। सिंचाई विभाग के मेट, 3 बेलदार, एक चौकीदार, एक मिस्त्री, सहित आठ-दस कर्मचारियों का स्टाफ यहां रहकर मंगलसर बांध व मानसरोवर बांध की देख रेख किया करता था। यहां विभिन्न प्रकार पौधे लगाए थे। इनके पुष्पों से पूरा परिसर महकता था। कई प्रजातियों के पेड़ लगाए गए थे।
नौकाविहार का लेते थे आनंदगांववासियों ने बताया कि इस रेस्ट हाऊस में अलवर महाराजा आकर ठहरते थे। उनके साथ विदेशी मेहमान आते थे। ये मेहमान रात को मंगलसर बांध व मानसरोवर में नौका विहार का आनंद लेते थे। उस समय इन बांधो में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का बसेरा रहता था।
शिक्षा का हुआ प्रचार- प्रसारइस रेस्ट हाउस में वीआईपी लोगों के आने से गांव में शिक्षा का प्रचार प्रसार भी हुआ। स्थानीय निवासियों में शिक्षा की अलख जगी। यहां से प्रशासनिक अधिकारी भी बने। स्थानीय निवासियों ने इस धरोहर का पुराना गौरव को पुन: बहाल करने की मांग की है।
उनका कहना है कि इस रेस्ट हाउस में सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को यहां ठहरने दिया जाए तो बांधों की देखभाल के साथ इस धरोहर की सार संभाल भी हो सकेगी।