साल 2013 में कमिंग ऑफ एज कॉमेडी फिल्म ‘फुकरे’ आई थी, जो कलाकारों की कॉमिक टाइमिंग की बदौलत स्लीपर हिट रही थी। अब इस फिल्म के निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा इसका सीक्वल ‘फुकरे रिटर्न्स लेकर आए हैं। फिल्म में निर्देशक ने ‘फुकरे’ की कॉमेडी के जादू को बनाए रखने की कोशिश की है, लेकिन प्लॉट और स्टोरी के मामले में उनसे थोड़ी चूक हो गई है। फिल्म के किरदार दर्शकों को हंसाते हैं, लेकिन कम्प्लीट एंटरटेनमेंट की बात करें तो फिल्म ‘फुकरे’ की तुलना में उन्नीस ही है। अगर लांबा फिल्म के राइटर विपुल विग के साथ राइटिंग पर थोड़ा और वर्क करते तो यह एक शानदार कॉमेडी फिल्म के रूप में सामने आ सकती थी। खास बात यह है कि निर्देशक ने ‘फुकरे’ के एक्टर्स को ही इसमें कास्ट किया है। पहली फिल्म में चूचा के किरदार ने दर्शकों का सबसे ज्यादा दिल जीता था, वही किरदार इस बार भी कॉमेडी का डायनामाइट बनकर सामने आया है।
कहानी
‘फुकरे’ जहां खत्म होती है, उसके एक साल बाद से इस फिल्म की कहानी शुरू होती है। निर्देशक ने ‘फुकरे’ की स्टोरी को ओपनिंग क्रेडिट में ही समझा दिया है। फुकरा गैंग के चारों दोस्त हनी (पुलकित सम्राट), चूचा (वरुण शर्मा), लाली (मनजोत सिंह) और जफर (अली फजल) आज भी उतने ही करीब हैं, जितने पहले थे। चारों ही अपनी लाइफ में आगे बढऩे का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच चूचा (वरुण शर्मा) को सांप काट लेता है। इसके बाद उसे भविष्य में होने वाली घटनाएं दिखने लगती हैं। वहीं, भोली पंजाबन (ऋचा चड्ढा) मिनिस्टर बाबूलाल (राजीव गुप्ता) की मदद से जेल से बाहर आ जाती है, लेकिन इसके एवज में उसे बाबूलाल को 10 दिन में 10 करोड़ रुपए देने हैं। वह जेल से बाहर आते ही हाथ धोकर फुकरा चौकड़ी के पीछे पड़ जाती है और उन्हें एक बार फिर लॉटरी का तिकड़म खेलने को कहती है, ताकि फुकरा गैंग चूचा के अजीबोगरीब सपनों के आधार पर बताए लॉटरी के सही नंबर से मालामाल हो जाएं, लेकिन यहां दांव उल्टा पड़ जाता है और फुकरा गैंग के पीछे न सिर्फ भोली, बल्कि वो लोग भी पड़ जाते हैं, जिन्होंने लॉटरी में पैसे लगाए थे। यहां से कहानी कई उतार-चढ़ाव और हास्यास्पद सिचुएशंस के साथ आगे बढ़ती है।
एक्टिंग
परफॉर्मेंस की बात करें तो चूचा यानी वरुण पूरी फॉर्म में हैं। वह जब भी पर्दे पर आते हैं, दर्शकों की हंसी की फुहारें शुरू हो जाती हैं। पुलकित ने अपना किरदार बखूबी निभाया है। ऋचा ने एक बार फिर भोली पंजाबन की भूमिका रौब के साथ निभाई है। पंडितजी के रोल में पंकज त्रिपाठी जबरदस्त हैं, वहीं भ्रष्ट मंत्री की भूमिका में राजीव गुप्ता जमे हैं। मनजोत और अली के किरदारों को ज्यादा स्पेस नहीं दिया गया, वहीं प्रिया आनंद और विशाखा सिंह सिर्फ कहने भर को फिल्म में हैं।
कहानी एकदम सिम्पल है, जिसमें जरा भी नयापन नहीं है, वहीं स्क्रीनप्ले को और क्रिस्प किया जा सकता था। निर्देशक लांबा ने चटपटे जोक्स, दिलचस्प डायलॉग्स और कलाकारों के अभिनय के दम पर दर्शकों को गुदगुदाने की कोशिश की है। म्यूजिक की बात करें तो यह इम्प्रेसिव नहीं है। बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। सिनेमैटोग्राफी और लोकेशंस आकर्षक हैं। फस्र्ट हाफ अच्छा है, लेकिन दूसरा हाफ कुछ खींचा हुआ सा लगता है, वहीं क्लाइमैक्स भी घिसा-पिटा है। संपादन साधारण है।
क्यों देखें, क्यों ना देखें
जुगाड़ू फुकरा गैंग की भोली पंजाबन के साथ कैमिस्ट्री और कॉमेडी की डोज से भरपूर एंटरटेनमेंट के साथ ‘फुकरे रिटर्न्स एक टाइमपास मूवी है। कुछ खामियों को नजरअंदाज कर और अपने माइंड पर स्ट्रेस डाले बिना देखेंगे तो यह आपको पसंद आएगी।