मुंबई। 1993 बम धमाकों के दोषी बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त ने शुक्रवार को कहा है कि उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के पास कभी भी क्षमा याचिका दायर नहीं की है और ना ही उन्होंने इस काम के लिए किसी और से आग्रह किया है। संजय दत्त के वकील हीतेश जैन और सुभाश जाधव ने एक बयान में कहा कि हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने संजय दत्त की क्षमा याचिका खारिज कर दी है और ये याचिका सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने संजय दत्त की ओर से दाखिल की थी।
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बयान में कहा गया, इस तरह की कोई भी दया याचिका संजय दत्त या फिर उनके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल को दायर नहीं की गई है और ना ही सजंय दत्त और उनके परिवार का कोई भी सदस्य क्षमा याचिका के लिए काटजू से मिला है। साथ ही बयान में कहा गया है कि संजय दत्त ने अपनी सजा लगभग पूरी कर ली है और जल्द ही वह जेल से रिहा हो जाएंगे। इससे पहले 1993 में हुए मुंबई बम धमाकों को लेकर बॉलीवुड एक्टर संजय दत की क्षमा याचिका गुरुवार को खारिज कर दी गई थी।
महाराष्ट्र के राज्यपाल चेन्नामनेनी विद्यासागर राव ने दत्त की क्षमा याचिका खारिज की थी। याचिका प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने 2013 में दायर की थी। काटजू ने 2013 में आर्टिकल 161 के तहत संजय दत्त की ओर से ये कहते हुए क्षमा याचिका दाखिल की थी कि 1993 में हुए बम धमाकों में उनकी (संजय) कोई भूमिका नहीं पाई गई थी। काटजू ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि संजय दत्त के पास बिना लाइसेंस का प्रतिबंधित हथियार था, जिसके चलते उन्हें कानून के तहत सजा मिली थी। काटजू ने कहा, आर्म्स एक्ट के सेक्शन 25 (1)ए में कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति के पास बिना लाइसेंस का प्रतिबंधित हथियार पाया जाता है, तो उसे कम से कम पांच साल और ज्यादा से ज्यादा 10 साल की सजा दी जाती है।
साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि संविधान के आर्टिकल 161 के तहत क्षमा करने की पावर न्यायिक पावरसे अलग है, क्योंकि राज्यपाल या राष्ट्रपति क्षमा दे सकते है या फिर कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को कम भी कर सकते हैं। इसलिए इसमें कोई शक नहीं है कि राज्यपाल सजा में माफी या उसे कम कर सकते हैं। इसके अलावा काटजू ने कहा था कि संजय दत्त ने जुर्म किया था। उन्होंने कहा था, उस दौरान संजय दत्त को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। उन्हें काफी अपमान का सामना करना पड़ा था। बार-बार कोर्ट जाना पड़ता था। विदेशों में शूटिंग करने के लिए उन्हें कोर्ट से अनुमति लेनी पड़ती थी। उन्हें बैंक से लोन ना मिलने जैसी कई अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ा था।