एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लोगों में से महज 2 प्रतिशत लोगों ने सलमान की फिल्म बजरंगी भाईजान को सिनेमाघरों में जाकर देखा है
मुंबई। बॉलीवुड के दबंग सलमान खान की पिछली फिल्म बजरंगी भाईजान ने भले ही तीन सौ करोड़ की कमाई की हो और सुपरहिट साबित हुई हो लेकिन सच्चाई यह है कि इस फिल्म को भारत के महज 2 प्रतिशत लोगों ने सिनेमाघरों में जाकर देखा है।
एक मल्टिप्लेक्स के अधिकारी ने बताया कि देश के 130 करोड़ लोगों में से महज दो प्रतिशत लोगों ने सलमान की फिल्म को सिनेमा घर में जाकर देखा है। रिपोर्ट के अनुसार टीवी प्रीमियर के दौरान 7.45 करोड़ ने फिल्म को देखा लेकिन अगर बात की जाए सिनेमाघरों में आए लोगों की तो केवल 3.21 करोड़ लोगों ने इस फिल्म को देखा।
कार्निवाल सिनेमाज के सीईओ पीवी सुनील ने कहा कि यह बहुत चौंकाने वाला है कि केवल दो प्रतिशत भारतीयों द्वारा फिल्म देखने के बाद फिल्म 300 करोड़ रुपए की कमाई कर चुकी है। अगर सिनेमाघरों में आने वाले लोगों की संख्या बढ़ जाए तो यह भारतीय सिनेमा को और भी फायदा करा सकती है।
50 प्रतिशत भारतीय अभी भी सिनेमाघरों में नहीं देखते फिल्म
सुनील ने कहा कि देश की 50 प्रतिशत जनता अभी भी सिनेमाहाल में जाकर फिल्में देखना नहीं पसंद करती है। जहां भारत में 10 लाख लोगों पर मात्र 7 सिनेमाघर हैं वहीं अमरीका में इन सिनेमाघरों की जनसंख्या 100 है। उसमें से भी केवल 15 प्रतिशत सिनेमाघर हैं जो मल्टीप्लेक्स हैं नहीं तो सब सिंगल स्क्रीन हैं। इसलिए भारत के सबसे बड़े फिल्म प्रोड्यूसर होने के बावजूद भी पैसे कमाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
फिल्में देखना है लोगों की संस्कृति
मल्टीप्लेक्स सिनेपॉलिस इंडिया के बिजनेस हेड देवांग संपत ने बताया कि सिनेमाघरों में लोगों को बुलाने का सबसे ज्यादा अच्छा तरीका टीयर-2, टीयर-3 और टीयर-4 शहरों का टारगेट करना है। उन्होंने कहा कि हम लोग पटना में चार स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स को खोलने वाले पहले लोग हैं। इसका रिस्पॉन्स बहुत अच्छा मिला है और इन सिनेमाघरों में टिकट का प्राइज मुंबई के बराबर है। इससे पता चलता है कि छोटे शहरों में भी फिल्म पर पैसा खर्च करने के लिए लोग काबिल हैं। संपत ने यह भी कहा कि मॉल्स में मल्टीप्लेक्स को खोलना सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में लोग 50 किलोमीटर दूर से फिल्में देखने के लिए आते हैं तो क्यों न हम ही उनके लिए पास में सिनेमाघर बना दें। भारतीय लोग फिल्म एंटरटेनमेंट के लिए नहीं बल्कि अपनी संस्कृति मान कर देखते हैं।