सर्व समाज विरोध समिति के सदस्य रणजीत सिंह ने बताया, ‘हमने सुबह 10 बजे से चित्तौडग़ढ़ किले के पदन पोल गेट के नाम से पहचाने जाने वाले पहले गेट को बंद कर दिया है। हम किसी को किले में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। यह एक शांतिपूर्ण विरोध है और 6 बजे तक जारी रहेगा।’ उन्होंने कहा, ‘किले में आने वाले पर्यटकों को वापस जाने के लिए कहा गया।’ यहां अक्टूबर से शुरू होने वाले पर्यटन सत्र में औसतन 3,000 से 4,000 से अधिक लोग किले का दौरा करते हैं।
विरोध समिति के सदस्य के.के. शर्मा ने कहा, ‘हमने विरोध शुरू किया है और लगभग 400-450 लोग गेट के बाहर धरने पर बैठे हैं। दिन चढऩे के साथ-साथ संख्या में वृद्धि होने की संभावना है।’हालांकि, पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों की संख्या 250 से ज्यादा नहीं है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि चित्तौडग़ढ की रानी पद्मिनी या पद्मावती के जीवन पर आधारित फिल्म रिलीज नहीं होनी चाहिए।
समिति के अन्य सदस्य ने दावा किया, ‘यह स्वतंत्रता के बाद पहली बार है जब किले में प्रवेश बंद दिया गया है।’ किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए भारी पुलिस की मौजूदगी है और किले के बाहर बाड़ लगाए गए हैं। एक ब्राह्मण समूह ने भी फिल्म पर प्रतिबंध की मांग को लेकर खून से हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है।