अरविंद अडिगा का उपन्यास ‘द व्हाइट टाइगर’
बहरहाल, जब रूसी फिल्म ‘व्हाइट टाइगर’ सुर्खियों में थी, उन्हीं दिनों भारतीय लेखक अरविंद अडिगा का उपन्यास ‘द व्हाइट टाइगर’ बुकर प्राइज जीतकर सुर्खियों में रहा। रूसी फिल्म और इस उपन्यास में वही फर्क है, जो रात और दिन में हुआ करता है। यानी युद्ध से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इसका लेना-देना भारतीय समाज की उन समस्याओं से हैं, जिनके साथ ‘मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की’ वाला मामला है। ऊंच-नीच, भ्रष्टाचार और गरीबी को लेकर अरविंद अडिगा ने उपन्यास में जो तस्वीरें खीची हैं, उन पर ‘द व्हाइट टाइगर’ नाम से ही फिल्म बनाई गई है। दिसम्बर में इसके डिजिटल प्रीमियर की तैयारी चल रही है।
इस फिल्म के निर्माताओं में प्रियंका चोपड़ा ( Priyanka Chopra ) शामिल हैं। वे इन दिनों इस क्षेत्र में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रही हैं। बतौर निर्माता उनकी ‘ईवल आई’ हाल ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आई है। ‘द व्हाइट टाइगर’ को लेकर उम्मीदें इसलिए भी बढ़ती हैं कि निर्देशक के तौर पर इससे ईरान मूल के अमरीकी फिल्मकार रमीन बहरानी जुड़े हुए हैं। उन्हें हॉलीवुड की ‘मैन पुश कार्ट’, ‘चॉप शॉप’, ‘प्लास्टिक बैग’, ’99 होम्स’ और ‘फारेनहाइट 451’ के लिए जाना जाता है। रमीन बहरानी अपनी फिल्मों में तकनीकी भव्यता के बजाय भावनाओं पर ज्यादा जोर देते हैं।
राजकुमार राव भी आएंगे नजर
‘द व्हाइट टाइगर’ का गरीब नायक बलराम हलवाई (आदर्श गौरव) बेहतर जिंदगी के सपने लेकर गांव से दिल्ली पहुंचता है। धीरे-धीरे वह महानगर में पैर जमाने की तिकड़में सीख जाता है। दिल्ली में अपने मालिक की हत्या कर वह बेंगलुरु पहुंचता है और जोड़-तोड़ से बड़ा कारोबारी बनकर उभरता है। फिल्म में प्रियंका चोपड़ा और राजकुमार राव ( Rajkummar Rao ) भी नजर आएंगे। बढ़ते शहरीकरण में गुम होती कोमल भावनाओं को फिल्म कितने सलीके से पकड़ती है, यह फिलहाल वक्त की मुट्ठी में बंद है।