scriptRocketry- The Nambi Effect : Scientist नम्बी नारायण बनने के लिए माधवन को 14 घंटे बैठकर करवाना पड़ता है मेकअप | R Madhavan makeup video for Rocketry- The Nambi Effect scientist Nambi | Patrika News

Rocketry- The Nambi Effect : Scientist नम्बी नारायण बनने के लिए माधवन को 14 घंटे बैठकर करवाना पड़ता है मेकअप

locationमुंबईPublished: Jan 23, 2019 10:26:59 am

Submitted by:

Riya Jain

हाल में R Madhavan ने Instagram पर Video and Photos पोस्ट किए हैं, जिसमें एक्टर ने बताया कि कैसे Scientist Nambi Narayanan की तरह दिखने के लिए उन्हें लगातार 14 घंटों तक चेयर पर बैठकर Makeup कराना पड़ता हैं।

Rocketry- The Nambi Effect : Scientist नम्बी नारायण बनने के लिए माधवन को 14 घंटे बैठकर करवाना पड़ता है मेकअप

Rocketry- The Nambi Effect : Scientist नम्बी नारायण बनने के लिए माधवन को 14 घंटे बैठकर करवाना पड़ता है मेकअप

बॅालीवुड और साउथ इंडस्ट्री के मशहूर स्टार R Madhavan जल्द ही ‘Rocketry: The Nambi Effect’ फिल्म लेकर आ रहे हैं। इस फिल्म में वह Scientist Nambi Narayanan का रोल निभा रहे हैं। फिल्म के लिए माधवन को अपना काफी लुक चेंज करना पड़ा है। हाल में उन्होंने Instagram पर Video and Photos पोस्ट किए हैं, जिसमें एक्टर ने बताया कि कैसे नम्बी की तरह दिखने के लिए उन्हें लगातार 14 घंटों तक चेयर पर बैठकर Makeup कराना पड़ता हैं।

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बता दें इस फिल्म में माधवन बतौर डायरेक्शन भी काम कर रहे हैं। इस बात की जानकारी खुद माधवन ने इंस्टाग्राम पर पर क्लैपबोर्ड के साथ शेयर की। उस क्लैपबोर्ड पर डायरेक्टर के तौर पर माधवन नाम लिखा हुआ है।

गौरतलब है कि नम्बी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में क्रायोजेनिक्स डिपार्टमेंट इंचार्ज थे। 1994 में उन्हें जासूसी के झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। सीबीआई द्वारा 1996 में उन पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया गया और सुप्रीम कोर्ट ने 1998 में उन्हें दोषों से बरी कर दिया।

अदालत ने कहा था कि नम्बी नारायण को गिरफ्तार किया जाना गैरजरुरी था, उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था- उन्हें हुए नुकसान की भरपाई पैसे से नहीं हो सकती, लेकिन नियमों के तहत उन्हें 75 लाख का भुगतान किया जाए।

‘रॉकेट्री’ के टीजर में दिखाया गया था कि नासा ने 67.1 करोड़ डॉलर खर्च करके 19 बार में मंगल पर कदम रखने में कामयाबी पाई। वहीं रूस ने 11.7 करोड़ डॉल्रर खर्च करके 16 बार कोशिश की। जबकि भारत को महज 7.4 करोड़ डॉलर खर्च करने के बाद नवम्बर 2014 में पहली ही कोशिश में कामयाबी मिल गई थी।

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