scriptकड़क : डार्क कॉमेडी मनोरंजन से दूर, हिचकॉक देखते तो हंसते | Ranvir Shorey starrer Kadakh movie review in Hindi | Patrika News

कड़क : डार्क कॉमेडी मनोरंजन से दूर, हिचकॉक देखते तो हंसते

locationमुंबईPublished: Jun 22, 2020 06:31:30 pm

अभिनेता-निर्देशक रजत कपूर ( Rajat Kapoor ) की नई फिल्म ‘कड़क’ ( Kadakh ) को हाल ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उतारा गया है। फिल्मकार मणि कौल ( Mani Kaul ) और कुमार शहानी ( Kumar Shahani ) के शागिर्द रजत कपूर बेशक अभिनेता अच्छे हैं, लेकिन इस फिल्म में उनका निर्देशन वैसा कमाल नहीं दिखा पाया, जो उनकी ‘आंखों देखी’ (2014) में नजर आया था।

कड़क : डार्क कॉमेडी मनोरंजन से दूर, हिचकॉक देखते तो हंसते

कड़क : डार्क कॉमेडी मनोरंजन से दूर, हिचकॉक देखते तो हंसते

-दिनेश ठाकुर
एक मकान में दीपावली की पार्टी की तैयारियां चल रही हैं। मकान के बाहर तख्ती लटकी हुई है- ‘घर मालती-सुनील का’। इस जोड़े के हाव-भाव देखकर महसूस होता है कि दोनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। जल्द ही रिश्तों का ठंडापन और उजागर हो जाता है, जब पार्टी शुरू होने से पहले राघव (चंद्रचूड़ राय) आ धमकता है। वह अपनी पत्नी और सुनील (रणवीर शौरी) ( Ranveer Shorey ) के नाजायज रिश्तों को लेकर बौखलाया हुआ है। सुनील से गरमागरमी के दौरान राघव पिस्तौल निकाल लेता है और इससे पहले कि हड़बड़ाहट में सुनील कुछ कर पाता, गोली चल जाती है। राघव के शव को एक कमरे में छिपाकर सुनील मेहमानों के स्वागत में जुट जाता है। पार्टी शुरू होती है। मेहमान खाने-पीने से लेकर कई और मुद्दों पर बतिया रहे हैं, कभी ठहाके लगा रहे हैं, कभी अपने दुखड़े सुना रहे हैं। जितने भी मेहमान हैं, उनकी जिंदगी में अलग-अलग परेशानियां हैं। उनके किस्सों में सुनील की ज्यादा दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि दूसरे कमरे में पड़ा राघव का शव उसे रह-रहकर याद आ रहा है। पार्टी की लम्बी गपशप के बाद बड़े अजीबो-गरीब ढंग से यह किस्सा खत्म होता है।

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यह किस्सा है अभिनेता-निर्देशक रजत कपूर ( Rajat Kapoor ) की नई फिल्म ‘कड़क’ ( Kadakh ) का, जिसे हाल ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उतारा गया है। फिल्मकार मणि कौल ( Mani Kaul ) और कुमार शहानी ( Kumar Shahani ) के शागिर्द रजत कपूर बेशक अभिनेता अच्छे हैं, लेकिन इस फिल्म में उनका निर्देशन वैसा कमाल नहीं दिखा पाया, जो उनकी ‘आंखों देखी’ (2014) में नजर आया था। दिल्ली के छोटे-से मकान में रहने वाले मध्यम वर्गीय परिवार की मामूली-सी कहानी को उन्होंने उस फिल्म में गैर-मामूली ढंग से पेश किया था। ‘कड़क’ में उन्होंने सस्पेंस के उस्ताद अल्फ्रेड हिचकॉक की कुछ फिल्मों और बासु भट्टाचार्य की ‘आविष्कार’ का मिक्सचर तैयार करने की कोशिश की है, लेकिन न सस्पेंस बांध पाता है, न पति-पत्नी के रिश्तों का तनाव पूरी तरह उभर पाता है। सस्पेंस के नाम पर फिल्म में जो घटनाएं घूमती हैं, अगर हिचकॉक देख पाते तो वे भी ठहाका लगाकर पूछते- ‘यह सब क्या हो रहा है मेरे काबिल दोस्त?’

कड़क : डार्क कॉमेडी मनोरंजन से दूर, हिचकॉक देखते तो हंसते

‘कड़क’ में रणवीर शौरी तथा खुद रजत कपूर के अलावा कई और मंजे हुए कलाकार मौजूद हैं- कल्कि कोचलिन, मानसी मुलतानी, मनोज पहवा, तारा शर्मा सलूजा, नुपुर अस्थाना, श्रुति सेठ, पलोमी घोष वगैरह। सिर्फ इनकी एक्टिंग के लिए 95 मिनट की इस डार्क कॉमेडी को देखा जा सकता है- बशर्ते इससे मनोरंजन की ज्यादा उम्मीद न रखी जाए।

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