इस कैंपेन से जुडऩे के बारे में पूछे जाने पर रवीना ने कहा, ”मैं छह साल से इस फाउंडेशन से जुड़ी हूं। मुझे लगता है कि यह एक ऐसा विषय है जो मेरे बहुत करीब है। मैं खुद एक मां हूं और बच्चे को तकलीफ में देखना एक मां के लिए कैसा होता है, यह मैं समझ सकती हूं। यह एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों में जन्म से होती है, लेकिन इससे बचा जा सकता है। इसलिए अगर आप जागरूकता फैलाएं तो गर्भवती महिलाएं अपनी होने वाली संतान को इससे बचा सकती हैं।’
वह कहती हैं, ”फॉलिक एसिड की गोलियों का पत्ता शायद आठ या 10 रुपये का है…यह मंहगा नहीं है, लेकिन इसके बारे में जागरूकता नहीं है, इसलिए जिन महिलाओं में फॉलिक एसिड की कमी होती है, उन्हें इसके बारे में पता नहीं चल पाता। इसके लिए जागृति फैलाने की बहुत जरूरत है।’
अनुभवों के आधार पर आपको क्या लगता है कि सरकार कितनी जागृत और संवेदनशील है? यह पूछे जाने पर रवीना ने कहा, ”देखिए यह एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) है, हम अब तक अपने एनजीओ के माध्यम से ही काम कर रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि सरकार भी इसके प्रति जागरूक है और बहुत ही जल्द हमें इस दिशा में कोई अच्छी खबर मिल सकती है कि सरकार और एनजीओ के साथ एक जागरूकता कार्यक्रम करने वाले हैं।’
स्पाइना बाइफिडा से पीडि़त बच्चों के लिए को क्या कहना चाहेंगी?
रवीना ने कहा, ‘अच्छी बात यह है कि स्पाइना बाइफिडा के 28वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने इस बीमारी की वजह से देश के साथ ही दुनिया भर के लोगों को जोड़ा, क्योंकि बहुत सारे लोग हैं जिन्हें इस बीमारी के बारे में जानकारी भी नहीं थी…उन्हें यह तक नहीं पता था कि उन्हें यह बीमारी कैसे हुई। इस फाउंडेशन के माध्यम से उन्हें यह पता चल पाया।’
वह कहती हैं, ”मैं बच्चों को यह संदेश देना चाहूंगी कि हिम्मत नहीं हारनी है। दुनिया भर में कई बच्चे बहुत ही गंभीर जन्मजात बीमारियों से जूझ रहे हैं, बावजूद इसके वह अपनी जिंदगी में बहुत बहादुरी और अच्छी तरह जी रहे हैं…हार नहीं मान रहे हैं। अगर किसी को यह बीमारी है तो उन्हें हिम्मत से अपनी जिंदगी जीनी चाहिए और इस बारे में जागरूकता भी फैलानी चाहिए।’
रवीना 2017 में फिल्म ‘मातृ’ में नजर आई थीं।
क्या आप हमें फिर जल्दी ही बड़े पर्दे पर नजर आएंगी? इस रवीना हंसते हुए कहती हैं, ”मैं पटकथाएं पढ़ रही हूं लेकिन अभी मुझे ऐसा कुछ खास लगा नहीं, जैसे ही कोई अच्छी पटकथा मिलती है तो मैं जरूर करूंगी।’