हैरानी की बात है कि साहित्य में कहानियां खूब लिखी जा रही हैं, लेकिन फिल्मों में कहानियों का इतना अकाल है कि बार-बार पुरानी फिल्मों पर नया मुलम्मा चढ़ाया जा रहा है। आईना वही रहता है, चेहरे बदल जाते हैं। नए फिल्मकारों को रीमेक के लिए अमिताभ बच्चन की फिल्में ज्यादा भा रही हैं। उनकी ‘शहंशाह’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘कालिया’, ‘चुपके-चुपके’ और ‘नमक हलाल’ के रीमेक की चर्चाएं काफी समय से चल रही हैं। करीब दस साल पहले भी ‘शक्ति’ के रीमेक की खबर आई थी, जिसमें अमिताभ बच्चन को दिलीप कुमार और अभिषेक बच्चन को उनका किरदार सौंपा जाना था। अब ‘टॉयलेट : एक प्रेमकथा’ के निर्देशक श्रीनारायण सिंह इसके रीमेक की तैयारी में हैं। बताया जाता है कि वे दो साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। कलाकारों के नाम फिलहाल तय नहीं हैं। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले साल फिल्म की शूटिंग शुरू हो जाएगी।
राज कपूर ने कभी कहा था कि कामयाब फिल्म बनाने का कोई फार्मूला नहीं होता। अगर होता तो सभी कामयाब फिल्में बनाते। भारत में हर साल 90 फीसदी फिल्में घाटे का सौदा साबित होती हैं। रीमेक फिल्मों की कामयाबी इसलिए भी संदिग्ध रहती है कि उनकी कहानी में लोगों की दिलचस्पी नहीं होती। ‘जंजीर’ और ‘हिम्मतवाला’ के रीमेक का क्या हश्र हुआ, सभी जानते हैं।