71 Years 71 Stories

क्यों ठंडा रहता है मिट्टी के मटके में भरा पानी?

मटके की सतह पर छिद्र अतिसूक्ष्म होते हैं। इन छिद्रों से निकले पानी का वाष्पोत्सर्जन होता रहता है और जिस सतह पर वाष्पोत्सर्जन होता है वह सतह ठंडी हो जाती है।

Oct 18, 2016 / 10:57 am

जब फ्रिज नहीं हुआ करता था तो लोग ठंडा पानी पीने के लिए मटके का इस्तेमाल करते थे। कई लोग आज भी फ्रिज के बजाय मटके के पानी का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर मिट्टी के घड़े में पानी कैसे ठंडा हो जाता है?
दरअसल मिट्टी के घड़े की दीवारों में असंख्य सूक्ष्म छिद्र होते हैं और इन छिद्रों से पानी रिसता रहता है। जिस कारण घड़े की सतह पर हमेशा गीलापन रहता है। 

मटके की सतह पर छिद्र अतिसूक्ष्म होते हैं। इन छिद्रों से निकले पानी का वाष्पोत्सर्जन होता रहता है और जिस सतह पर वाष्पोत्सर्जन होता है वह सतह ठंडी हो जाती है। इसे इस उदाहरण से समझ सकते हैं कि स्प्रिट, शराब या थिनर आदि के हाथ पर लगने से ठंडक महसूस होती है। 
वाष्पोत्सर्जन की क्रिया में पानी की वाष्प बनती है और यह क्रिया हर तापमान पर होती रहती है। वाष्पोत्सर्जन की क्रिया में बुलबुले नहीं बनते हैं और वायु की गति वाष्पोत्सर्जन की दर को तेज कर देती है। 
साफ है कि जब घड़े की सतह पर वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया चलती रहती है, जिससे उसकी दीवारें ठंडी रहती हैं और इसी के चलते मटके का पानी ठंडा रहता है। 

स्वास्थ्य के लिए भी है फायदेमंद 
मटका पर्यावरण के लिए हितकारी होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के नजरिए से भी फायदेमंद है। इसमें रखा पानी पीने से गला खराब होने का डर कम होता है। क्योंकि इसके पानी का तापमान इंसान के शारीरिक तापमान के बराबर होता है।

Home / 71 Years 71 Stories / क्यों ठंडा रहता है मिट्टी के मटके में भरा पानी?

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.