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हैदराबाद के रणजी खिलाड़ी की कहानी पर आधारित है Shahid Kapoor की ‘जर्सी’

locationमुंबईPublished: Oct 23, 2020 08:25:49 pm

तेलुगु फिल्म ‘जर्सी’ ( Jersey Movie ) को इसी नाम से हिन्दी में बनाया जा रहा है। इसमें शाहिद कपूर ( Shahid Kapoor ) रणजी खिलाड़ी के किरदार में नजर आएंगे। मूल फिल्म बनाने वाले गौतम तिन्नानुरी ही इसका निर्देशन कर रहे हैं।

हैदराबाद के रणजी खिलाड़ी की कहानी पर आधारित है Shahid Kapoor की 'जर्सी', पढ़ें पूरी कहानी

हैदराबाद के रणजी खिलाड़ी की कहानी पर आधारित है Shahid Kapoor की ‘जर्सी’, पढ़ें पूरी कहानी

-दिनेश ठाकुर

कमाई के मामले में भारतीय क्रिकेट ( Indian Cricket ) के कुछ सितारे फिल्मी सितारों से भी आगे हैं। रन और विकेट के हिसाब से उन पर धन बरसता है। आज आसमान उनकी मुट्ठी में है और विलासिता उनकी जीवन शैली का हिस्सा। बीते दौर के क्रिकेट खिलाडिय़ों के बारे में सोचते हुए इब्ने इंशा की एक नज्म याद आती है- ‘एक छोटा-सा लड़का था मैं जिन दिनों/ एक मेले में पहुंचा हुमकता हुआ/ जी मचलता था एक-एक शै पर/ जेब खाली थी, कुछ मोल ले न सका/ लौट आया लिए हसरतें सैकड़ों।’ गुजरे जमाने के कई खिलाड़ी इसी तरह हसरतों को दबाकर जीते थे।

जर्सी के लिए फिर थामा बल्ला
हैदराबाद के ऐसे ही एक रणजी खिलाड़ी की अभावों में गुजरी जिंदगी पर पिछले साल तेलुगु में मार्मिक फिल्म ‘जर्सी’ ( Jersey Movie ) बनाई गई। किसी जमाने में रणजी टूर्नामेंट से टीम इंडिया में शामिल होने का रास्ता खुलता था। अब तो फटाफट क्रिकेट वाले आईपीएल से खिलाड़ी टीम इंडिया में पहुंचने लगे हैं। ‘जर्सी’ का नायक रणजी के कई मैच खेलने के बाद भी टीम इंडिया में नहीं चुना जाता। हारकर वह क्रिकेट खेलना छोड़ देता है। खिलाड़ी कोटे से मिली नौकरी भी उसके हाथ से फिसल जाती है। उसका सात साल का बेटा एक जर्सी की फरमाइश करता है। जर्सी खरीदने के लिए रुपए चाहिए। इस रकम के बंदोबस्त के लिए वह फिर मैदान में उतरता है, लेकिन मैच जीतने के बाद उसके दिल की धड़कनें थम जाती हैं।

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‘जर्सी’ को इसी नाम से हिन्दी में बनाया जा रहा है। इसमें शाहिद कपूर ( Shahid Kapoor ) रणजी खिलाड़ी के किरदार में नजर आएंगे। मूल फिल्म बनाने वाले गौतम तिन्नानुरी ही इसका निर्देशन कर रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि एक उपेक्षित खिलाड़ी की कशमकश, कसक और कल्पनाओं को उन्होंने मूल फिल्म में जितने भावपूर्ण अंदाज में पेश किया था, रीमेक में भी वही गहराई महसूस होगी।

खिलाडिय़ों की फीस के जुटाने में आई दिक्कत

आज अगर क्रिकेट के सितारे करोड़ों में खेलते हैं, तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पास कुबेर का खजाना है। नई पीढ़ी को यह जानकर हैरानी हो सकती है कि कभी इस बोर्ड का हाथ इतना तंग था कि खिलाडिय़ों की फीस के बंदोबस्त के लिए भी उसे खासी मशक्कत करनी पड़ती थी। टीम इंडिया जब 1983 में वल्र्ड कप जीतकर लौटी थी, तब बोर्ड के पास खिलाडिय़ों को इनाम देने के लिए भी धन नहीं था। बोर्ड ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ स्टेडियम में लता मंगेशकर के कंसर्ट का आयोजन कर 20 लाख रुपए जुटाए। तब कहीं खिलाडिय़ों को इनाम की राशि दी जा सकी।

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लता जी खुद क्रिकेट की शौकीन
क्रिकेट के इतिहास में लता मंगेशकर का यह कंसर्ट सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। लता जी खुद क्रिकेट की शौकीन हैं, इसलिए जब बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष एन.के.पी. साल्वे ने उन्हें बोर्ड की आर्थिक दशा और व्यथा बताई, तो वे कंसर्ट के लिए तैयार हो गईं। कंसर्ट में कई सदाबहार गानों के साथ ‘भारत विश्व विजेता अपना भारत विश्व विजेता’ भी बड़ा आकर्षण रहा, जिसे लता जी के साथ विजेता टीम के खिलाडिय़ों ने भी गाया। इस गाने के लिए उन्हें इतनी रिहर्सल करनी पड़ी, जो शायद उन्होंने वर्ल्ड कप का फाइनल जीतने के लिए भी नहीं की होगी। यह गाना इंदीवर से इस कंसर्ट के लिए विशेष रूप से लिखवाया गया था। इसकी धुन हृदयनाथ मंगेशकर ने तैयार की। स्टेज पर इसे गाते हुए खिलाडिय़ों का जोश देखते ही बनता था।

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