इतना ही नही जब अमिताभ से एक इवेंट के दौरान शत्रुघ्न से इस बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, “ये बातें सब कल की हैं। अगर नहीं लिखता तो यह ऑनेस्ट बायोग्राफी नहीं होती। इसका मतलब ये नहीं कि आज मेरे दिल में कुछ खटास है। वो जवानी का जोश और स्टारडम का तकाजा था। अगर हम दोस्त हैं, तो हमें लड़ने का भी हक है। अगर आज आप मुझसे पूछें तो मैं कहूंगा कि मेरे दिल में अमित (अमिताभ बच्चन) के लिए बेहद आदर है और मैं उन्हें पर्सनैलिटी ऑफ द मिलेनियम मानता हूं।”
शत्रुघन ने अपनी किताब में लिखा हैं, ‘सबसे बड़ी समस्या ये थी कि मुझे मेरी योग्यता के आधार पर अलग पहचान मिल रही थी। अमिताभ बच्चन को भी ये चीज समझ आ रही थी और यही वजह थी कि वो मुझे अपनी कई फिल्मों में देखना नहीं चाहते थे।’ शत्रुघ्न ने अपनी जीवनी में आगे लिखा, ‘काला पत्थर के दौरान, अमिताभ बच्चन की एक हीरोइन दोस्त थी और वह शूटिंग पर अक्सर उनसे मिलने आया करती थी। इसके बाद हम लोगों ने दोस्ताना में काम शुरू किया तो भी वह आती थी, लेकिन अमिताभ ने कभी उसका परिचय हम लोगों से नहीं करवाया था।’
वह आगे लिखते हैं, ‘शोबिज में, हर किसी को पता होता है कि कौन किससे मिलने के लिए आ रहा है। हम लोगों से भी पहले तो मीडिया की ही इसकी खबर लग जाती है। अगर रीना रॉय मेरे मेकअप रूम में होती थी तो सबको पता होता था। क्योंकि ऐसी चीजें फिल्म इंडस्ट्री में छुपाकर रखना संभव नहीं था। टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में शत्रुघ्न ने बताया था, ‘दीवार, शोले और सत्ते पे सत्ता जैसी फिल्में पहले मुझे ऑफर हुई थीं। लेकिन मेकर्स को बाद में लगा होगा कि कोई अन्य अभिनेता इस फिल्म के लिए ज्यादा बेहतर है।’
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70 के दशक में बॉलीबुड में उनका कद अमिताभ बच्चन से बड़ा था। इस कारण ही दोस्ती में दरार पड़ी। अपनी किताब में शत्रु लिखते हैं, “तब लोग कहते थे कि अमिताभ और मेरी ऑनस्क्रीन जोड़ी सुपरहिट है, पर वो मेरे साथ काम नहीं करना चाहते थे। उनको लगता था कि ‘नसीब’, ‘काला पत्थर’, ‘शान’ और ‘दोस्ताना’ मेंमैं उनपर भारी पड़ गया, लेकिन इससे मुझे कभी फर्क नहीं पड़ा।”
“काला पत्थर के सेट पर कभी मुझे अमिताभ के बगल वाली कुर्सी ऑफर नहीं की गई। शूटिंग के बाद लोकेशन से होटल जाते हुए कभी अमिताभ ने मुझे अपनी कार में आने के लिए ऑफर नहीं दिया। मुझे ये देखकर आश्चर्य होता था कि आखिर ये क्यों हो रहा है। लेकिन मैंने कभी किसी बात को लेकर शिकायत नहीं की।” शॉटगन अपनी बायोग्राफी में लिखते हैं कि अमिताभ का फिल्मी करियर बनाने के लिए उन्होंने कई बड़ी फिल्में बिना किसी परेशानी के उनके लिए छोड़ दी।