‘मासूम’, ‘मि. इंडिया’ और ‘बैंडिट क्वीन’ के लिए पहचाने जाने वाले शेखर कपूर मूडी फिल्मकार हैं। सभी सृजनधर्मी फिल्मकार मूडी होते हैं। इनकी पटरी फिल्म इंडस्ट्री के उन धन कुबेरों के साथ कम बैठती है, जो खर्च से पहले आमदनी का हिसाब-किताब पक्का कर लेना चाहते हैं। निर्माताओं से तनातनी के कारण शेखर कपूर कई फिल्मों को अधूरी छोड़ उनसे अलग हो चुके हैं। नब्बे के दशक में उनके निर्देशन में रेखा, नसीरुद्दीन शाह, आमिर खान और रवीना टंडन को लेकर विज्ञान फंतासी ‘टाइम मशीन’ का निर्माण शुरू हुआ था। यह फिल्म अब तक अधूरी पड़ी है। बॉबी देओल की पहली फिल्म ‘बरसात’ शेखर कपूर के निर्देशन में बनने वाली थी। निर्माता से खटपट के बाद इसका निर्देशन राजकुमार संतोषी को सौंपना पड़ा। इसी तरह ‘दुश्मनी’ और ‘जोशीले’ को भी वे अधूरी छोड़कर अलग हो गए। दोनों फिल्मों को जैसे-तैसे पूरा कर सिनेमाघरों में उतारा गया।
शेखर कपूर के लिए ऐसा निर्माता तलाशना आसान नहीं है, जो उन्हें फिल्म बनाने की पूरी आजादी देकर पूंजी निवेश करे। यही मुश्किल सालों पहले के. आसिफ ने ‘मुगले-आजम’ बनाते वक्त झेली थी। निर्माता के रूप में शापूरजी पालोनजी मिलने के बाद यह क्लासिक फिल्म 16 साल में पूरी हो सकी। उस जमाने के डेढ़ करोड़ रुपए की लागत वाली इस फिल्म ने रेकॉर्डतोड़ 5.5 करोड़ रुपए कमाए थे।