एफडब्ल्यूआईसीई के महासचिव अशोक दुबे का कहना है कि उनका संगठन अपने स्तर पर इस तरह के फैसले नहीं कर सकता। इम्पा समेत फिल्म और टीवी के विभिन्न संगठनों के साथ बातचीत के बाद ही गाइडलाइंस बनाई जा सकती हैं। एफडब्ल्यूआईसीई ने संकेत दिए कि उसकी तरफ से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को मंगलवार को दिए गए पत्र के बाद फिल्मों के पोस्ट प्रोडक्शन का कामकाज जल्दी शुरू हो सकता है, लेकिन शूटिंग की बहाली के लिए और इंतजार करना पड़ेगा।
बता दें कि एफडब्ल्यूआईसीई ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इंडस्ट्री का कामकाज बहाल करने की इजाजत मांगी। फेडरेशन के मुख्य सलाहकार अशोक पंडित ( Ashoki Pandit ) की तरफ से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि दूसरी इंडस्ट्रीज की तरह फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी पटरी पर आने की राह खोली जानी चाहिए। इसकी शुरुआत फिल्मों के पोस्ट प्रोडक्शन कामकाज की इजाजत देकर की जा सकती है। शूटिंग समेत तमाम कामकाज ठप होने से इंडस्ट्री को रोज करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।
अटका पड़ा है निवेश, हजारों करोड़ दांव पर
फेडरेशन पांच लाख से ज्यादा सदस्यों वाली संस्था है। उसने पत्र में बताया कि सिनेमा जगत देश को सर्वाधिक राजस्व देने वाला क्षेत्र है। अनगिनत निर्माताओं ने कई फिल्मों में निवेश कर रखा है। लॉकडाउन के कारण यह निवेश अटका पड़ा है। किसी के पास भविष्य की कोई योजना नहीं है, इसलिए हम यह मसला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाना चाहते हैं। लॉकडाउन ने फिल्म इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है। नई फिल्मों पर हजारों करोड़ रुपए दांव पर लगे हुए हैं तो सिनेमाघर बंद होने से अब तक करीब दो हजार करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है। लॉकडाउन की मियाद बार-बार बढ़ाए जाने से सिनेमाघर जल्दी खुलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। तमिलनाडु और केरल की सरकारें पिछले हफ्ते तमिल तथा मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को पोस्ट प्रोडक्शन कामकाज बहाल करने की इजाजत दे चुकी हैं। इसको लेकर वहां गाइडलाइंस जारी की गई हैं और इनका सख्ती से पालन करने को कहा गया है।