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पद्मावती पर बनी अब तक सभी फिल्में रहीं फ्लॉप, क्यों? जानें

Published: Nov 20, 2017 01:20:03 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

पद्मावती को लेकर अब तक बनी फिल्में बेशक फ्लॉप रहीं, लेकिन भंसाली की फिल्म उत्सुकता जगाती है…

padmavati

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निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ को लेकर हंगामा मचा हुआ है। हैरानी वाली बात ये है कि पद्मावती को लेकर इससे पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं। बॉलीवुड ने भी बनाया है और दक्षिण फिल्म जगत ने भी…उल्लेखनीय है कि सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही हैं। खास बात ये भी है, उस वक्त पद्मावती के चित्रण पर कोई विवाद नहीं उठा था। इसमें कोई दोराय नहीं कि संजय लीला भंसाली एक बहुत बड़े फिल्मकार हैं और उनकी फिल्में भव्य होती हैं। उनका कहानी कहने का तरीका अलग होता है… उनका प्रस्तुतिकरण लाजवाब होता है। शायद यही वजह है कि पद्मावती को लेकर अब तक बनी फिल्में बेशक फ्लॉप रहीं, लेकिन भंसाली की फिल्म उत्सुकता जगाती है। इससे पहले पद्मावती को हर निर्देशक ने अपने-अपने अंंदाज से कहानी क गढ़ा है….भंसाली ने अपने ढंग से गढ़ा है। तो आइए, एक नजर डालते हैं पद्मावती पर बनी फिल्मों और उनके कैनवस पर…

 

chitor rani


चित्तौड़ रानी पद्मिनी
तमिल निर्देशक चित्रापू नारायण मूर्ति ने साल 1963 में रानी पद्मिनी की कहानी पर फिल्म ‘चित्तौड़ रानी पद्मिनी’ बनाई थी। इस फिल्म में मशहूर अभिनेत्री वैजयंती माला ने रानी पद्मिनी का किरदार निभाया था। ये फिल्म उमा पिक्चर्स के बैनर तले निर्मित हुई थी। इस फिल्म में अभिनेता शिवाजी गणेशन ने चित्तौड़ के राजा रतन सिंह का किरदार निभाया था। इस फिल्म में भी रानी पद्मावती और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की कहानी दिखाई गई थी। हालांकि तब निर्माताओं ने इस फिल्म को ‘ऐतिहासिक फिक्शन’ बताया था।

इस फिल्म में दर्शाया गया था कि अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मिनी के प्रेम में पागल है और उसने चित्तौड़ के राजा रावल रतन सिंह को धमकी दी थी कि यदि रानी पद्मिनी का दीदार नहीं हुआ, तो वह राजस्थान को बर्बाद कर देगा। रतन सिंह के पास जब कोई विकल्प नहीं बचा, तो वो रानी पद्मिनी को महल के तालाब के किनारे खड़े होने और उनकी छवि को एक शीशे में दिखाने के लिए तैयार हो गए। साथ ही उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी की हत्या करने की एक गुप्त योजना भी तैयार की। लेकिन रानी पद्मिनी का इरादा खुद को किसी अजनबी के सामने पेश करने का नहीं था। फिल्म में खिलजी के सामने पेश होने की बजाय रानी पद्मिनी सती हो जाती हैं। साल 1963 में आई इस फिल्म में पद्मिनी का किरदार निभा रहीं वैजयंती माला पर कई गाने ीाी फिल्ममाए गए थे। तब इस फिल्म को लेकर न कोई विरोध हुआ था, न ही कोई विवाद… फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही थी।

 

maharani padmini

महारानी पद्मिनी

फिल्म ‘चित्तौड़ रानी पद्मिनी’ के रिलीज होने के एक साल बाद रानी पद्मिनी पर एक और फिल्म का निर्माण हुआ। फिल्म का नाम था- ‘महारानी पद्मिनी’। ये फिल्म हिंदी में बनाई गई थी यानी बॉलीवुड फिल्म थी। इस फिल्म का निर्देशन जसवंत झावेरी ने किया था। अभिनेत्री अनिता गुहाने रानी पद्मिनी का किरदार निभाया था। फिल्म जयराज और श्यामा भी अहम किरदार में नजर आए थे। ये फिल्म डिलाइट मूवीज के बैनर तले बनी थी।इस फिल्म में भी महारानी पद्मिनी के किरदार पर नृत्य दृश्य फिल्माए गए थे। फिल्म एक गीत से शुरू होती है,

जिसके बोल हैं-

यहीं हुई है बरसों पहले एक पद्मिनी रानी, पूनम का चंदा भरता था जिसके सामने पानी,
होली के दिन खेल रही थी वो सखियों से, नाच रही थी बनके राधिका बीच में एक मस्तानी।

इस फिल्म में दिखाया गया था कि दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मिनी के इश्क में पागल है। हालांकि फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि खिलजी का सेनापति मलिक काफूर उसे महारानी पद्मिनी के हुस्न में उलझा लेता है ताकि वो दिल्ली की गद्दी पर हासिल कर सके। महारानी पद्मिनी को हासिल करने के लिए खिलजी रावल रतन सिंह को कैद कर लेता है। इस फिल्म के आखिर में खिलजी पद्मिनी को अपनी बहन मान लेता है और राजपूत राजा रवल रतन सिंह खिलजी की बांहों में दम तोड़ते हैं।

यह फिल्म रानी पद्मिनी के जौहर पर समाप्त होती है। फिल्म के एक सीन में महारानी पद्मिनी सुल्तान अलाउद्दीनखिलजी की जान भी बचाती हैं। फिल्म के आखिर में सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी कहता है-“हमारी ये फतह इतिहास की सबसे बड़ी शिकस्त है।”

जय चित्तौड़

इसके अलावा जसवंत झावेरी ने पद्मिनी की कहानी पर ही 1961 में ‘जय चित्तौड़’ टाइटल से फिल्म बनाई थी।इस फिल्म का भी उस वक्त कोई विरोध नहीं हुआ था। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि उस वक्त जब विरोध

नहीं हुआ, तो अब क्यों? क्या इसके पीछे कहीं कोई गहरी साजिश तो नहीं है? आखि भंसाली ने ऐसी सब्जेक्ट को क्यों चुना, जो पहले फ्लॉप रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह भी कि आखिर भंसाली इस फिल्म में ऐसा क्या दिखाना चाहते हैं, जो इससे पहले फिल्मों में नहीं था। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल, भंसाली मुश्किल में हैं,क्योंकि उन्होंने फिल्म को बिना सेंसरबोर्ड को दिखाए प्राइवेट स्क्रीनिंग रखी, जो नियम के खिलाफ है। अब सेंसर बोर्ड में कितनी सख्ती दिखाता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

 

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