सोनू ने एक बातचीत में बताया कि उनके लिए ये वक्त बेहद ही भावुक है क्योंकि जब वो प्रवासी मजदूरों को सड़कों पर चलते हुए देख रहे थे तो उन्हें बहुत दुख पहुंचा था। उन्होंने कहा कि मजूदरों का दर्द और पीड़ा देखने के बाद लगता है कि हमने एक इंसान के रूप में सम्मान खो दिया है। हम सिर्फ एसी में बैठकर ट्वीट नहीं कर सकते, हमें उनकी मदद के लिए आगे आना होगा वरना इन मजदूरों को इस बात एहसास होगा कि उनके साथ कोई नहीं खड़ा है। इन्होंने हमारे घरों को बनाया है आज इन्हें हमारी जरूरत है तो हमें आगे आना चाहिए। हम उन्हें और उनके बच्चों को सड़क पर मरने के लिए नहीं छोड़ सकते।
सोनू ने आगे कहा- मैं इन प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का काम जारी रखूंगा। जबतक हर एक मजदूर अपने घर नहीं पहुंच जाता मैं रूकूंगा नहीं फिर चाहे इसके लिए मुझे अपना सबकुछ दांव क्यों ना लगाना पड़े। फिलहाल मुझे इस बात की संतुष्टि है कि कुछ लोगों की मदद हो पाई है। मुझे कई मैसेज और ईमेल मिल रहे हैं जिससे घर जाने वाले मजदूरों का पता चल रहा है।