बतौर नायिका पहली फिल्म बुरी तरह नाकाम रहने के बाद बॉलीवुड के लिए श्रीदेवी फिर चार साल गुमनाम रहीं। 1983 में ‘हिम्मतवाला’ आई और इसमें श्रीदेवी के चटपटे लटके-झटकों ने जैसे मुनादी कर दी कि उनका सिक्का दूर और देर तक चलने वाला है। उसी साल आई ‘सदमा’ ने उन आलोचकों की धारणा भी बदल दी, जो श्रीदेवी की अभिनय क्षमता को कमतर आंक रहे थे।
हर किरदार को बखूबी निभाया
श्रीदेवी अपनी क्षमताओं से बखूबी वाकिफ थीं। उतनी ही खूबी से उन्होंने अपने भीतर की शोख, चुलबुली, बिंदास नायिका और संजीदा, समर्थ अभिनेत्री के बीच संतुलन कायम किया। किरदार चाहे जो हो, हर फिल्म में वह अपनी अलग चमक के साथ जगमगाती रहीं। नायक प्रधान फिल्मों में भी उनकी जगमगाहट बरकरार रही। अस्सी के दशक में एक के बाद एक हिट हुई फिल्मों को लेकर उन्हें हिन्दी सिनेमा की पहली महिला सुपर स्टार कहा जाने लगा।
‘इंग्लिश विंग्लिश’ से की वापसी
सिनेमा के फलक पर माधुरी दीक्षित और जूही चावला के उदय के बाद श्रीदेवी का सितारा ढलने लगा तो ‘मि. इंडिया’ और ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ के निर्माता बोनी कपूर से 1996 में शादी कर वह कई साल फिल्मों से दूर रहीं। ‘इंग्लिश विंग्लिश'(2013) से वापसी के बाद ‘मॉम’ (2018) में भी अपने परिपक्व अभिनय से उन्होंने दर्शकों का मन मोह लिया। उनको लेकर कुछ नई उम्मीदें जाग रही थीं, लेकिन दो साल पहले दुबई में अचानक दुनिया से विदा लेकर वह इन उम्मीदों को चूर-चूर कर गईं।
रोजना याद आती है
मां श्रीदेवी को दूसरी पुण्यतिथि पर याद करते हुए जाह्नवी एक पुरानी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ‘मैं आपको रोज बहुत याद करती हूं।’ अनिल कपूर ने लिखा, ‘दो साल गुजर गए हम रोज आपको याद करते हैं। पुरानी यादों का स्मरण करते हैं। हम कामना करते हैं कि आप हमारे साथ और समय बिताते। आपके साथ गुजारे पलों के लिए धन्यवाद। आप हमारे विचारों और प्रार्थनाओं में हमेशा रहोगे।’