scriptStar Talk: किरदार के लिए मैं सिर भी मुंडवा सकती हूं: भूमि पेडनेकर | Star Talk: A Exclusive Interview with actress Bhumi Pednekar | Patrika News

Star Talk: किरदार के लिए मैं सिर भी मुंडवा सकती हूं: भूमि पेडनेकर

locationजयपुरPublished: Aug 24, 2017 08:00:00 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

भूमि एक ऐसी नायिका हैं, जो अपने किरदार के साथ कोई समझौता नहीं करतीं…

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भूमि पेडनेकर की आने वाली फिल्म ‘शुभ मंगल सावधान’ में उनकी जोड़ी आयुष्मान खुराना के साथ बनाई गई है। इससे पहले वो आयुष्मान के साथ ‘दम लगा के हाइशा’ कर चुकी हैं। ये भूमि की डेब्यू फिल्म थी, जो सुपरहिट थी। उनकी दूसरी फिल्म ‘टॉयलेट: एक प्रेमकथा’ भी सुपरहिट हो गई है। अब सबकी नजरें ‘शुभ मंगल सावधान’ पर टिकी हैं। भूमि हिट की हैट्रिक लगाने के कगार पर हैं। इसके अलावा उनके पास अभिषेक चौबे की भी एक फिल्म है, जो अगले साल रिलीज होगी। भूमि एक ऐसी नायिका हैं, जो अपने किरदार के साथ कोई समझौता नहीं करतीं। उन्हें लीक से हटकर काम करने में मजा आता है। अब तक उनके किरदारों में भी यही नजर आया है। हाल ही भूमि से बातचीत हुई…


अपनी पहली ही फिल्म में बहुत अधिक वजन बढ़ाकर आपने साहसिक कदम उठाया था, क्या आपको उम्मीद थी कि लोग आपको स्वीकार करेंगे?
मुझे नहीं पता था कि लोग मुझे, मेरे किरदार, फिल्म (दम लगा के हइशा) या एक अधिक वजन वाली लडक़ी और एक लडक़े के बीच प्रेम कहानी को स्वीकार करेंगे। फिल्म के पूरी तरह फ्लॉप होने का खतरा था, लेकिन यह देख कर सुखद आश्चर्य हुआ कि लोगों ने इसे पसंद किया।

क्या आप किसी दूसरी फिल्म के लिए वजन बढ़ाने जैसा कोई कदम उठा सकती हैं?
बिलकुल कर सकती हूं, क्योंकि मैं खुद को हर भूमिका के लिए शारीरिक रूप से बदलने में विश्वास करती हूं, लेकिन मुझे नहीं पता कि फिर से 27 किलो वजन बढ़ाने के लिए मेरा शरीर तैयार होगा या नहीं, क्योंकि फिलहाल मैं 30 किलो से ज्यादा वजन कम कर चुकी हूं। इस सब से गुजरने में शरीर को बहुत वक्त लगता है और शरीर पर यह बहुत भारी पड़ता है। पुरुषों की तुलना में एक महिला को इसके लिए तीन गुना ज्यादा मेहनत करनी होती है और मैंने इसे पूरी तरह स्वाभाविक रूप से किया है। हो सकता है कि अपने कॅरियर में आगे चल कर इस बारे में एक बार फिर सोचूं।

किसी रोल के लिए खुद को किस हद तक बदल सकती हैं?
मुझे नहीं पता, लेकिन ‘दम लगा के हइशा’ के लिए मैं जिस हद तक गई थी … वह चरम था। अभिनय में, मुझे लगता है कि यही वह एक्स्ट्रीम लेवल है, जहां तक कोई कलाकार जा सकता है। बेशक, मुझे पता है कि ऐसे कई कलाकार हैं, जिन्होंने अपनी भूमिकाओं के लिए बहुत अजीब मानी जाने वाली चीजें भी की हैं। जहां तक मेरी बात है, मैं विधिपूर्वक अभिनय में भरोसा करती हूं और इस मामले में कोई भी रिस्क उठा सकती हूं। अगर किसी किरदार के लिए मुझे सिर मुंडवाने की भी जरूरत पड़ेगी, तो क्यों नहीं, मैं इसके लिए तैयार हूं। यह मेरे बाल हैं, यह फिर से बढ़ जाएंगे और नहीं भी बढ़े, तो मैं विग पहन लूंगी। हम 2017 में हैं और हमारे पास हर चीज का एक समाधान है

‘शुभ मंगल सावधान’ में ‘मर्दों वाली कमजोरी’ के बारे में बात…?
यह समस्या तब से है, जब से धरती पर इंसान है। लेकिन लोग इसके बारे में बात नहीं करते हैं। अगर कोई व्यक्ति किसी भी कारण से सेक्स संबंधी इस समस्या का शिकार हो जाता है, तो लोग उसे नपुंसक कहना शुरू कर देते हैं या उसकी मर्दांनगी पर सवाल उठने लगते हैं। यह फिल्म, वास्तव में आपको यह बताती है कि आपकी मर्दांनगी आपके बिस्तर पर प्रदर्शन पर ही निर्भर नहीं करती है, यह इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपने आसपास की महिलाओं के साथ कैसे व्यवहार करते हैं, आप कितने विनम्र और दूसरों को सम्मान देने वाले हैं और आप किस तरह के इंसान हैं।

आनंद एल राय के साथ काम करने का आपका अनुभव कैसा था?
गजब का! आनंद अपने नाम की तरह आनंद का स्रोत हैं। वह उन सबसे अच्छे लोगों में से एक है, जिनसे मैं फिल्म-बिरादरी में अब तक मिली हूं। वह बहुत प्रतिभाशाली है और मैं उनके काम की बहुत बड़ी प्रशंसक रही हूं। इस फिल्म का हिस्सा होना मेरे लिए सम्मान की बात है।

किसका काम आपको सबसे अधिक प्रेरित करता है?
मैं किसी महिला के पेशेवर काम को लेकर प्रभावित नहीं होती, बल्कि एक स्त्री के रूप में उनसे प्रेरित होती हूं। मैं प्रियंका चोपड़ा की पूजा करती हूं। मुझे लगता है वह शानदार हैं। मैं उस औरत के रूप में उन्हें पसंद करती हूं, जो वह हैं।

‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’ सौ करोड़ क्लब में शामिल हो गई…फिल्म के सफल होने की उम्मीद थी?

मुझे लगता है कि इस फिल्म ने दर्शकों को बहुत अच्छी तरह से जोड़ा है। इसी का नतीजा है कि फिल्म डेढ़ सप्ताह में ही सौ करोड़ का आंकड़ा पार कर गई। फिल्म की शुरू में आलोचना भी हुई, लेकिन ये लोग हमारी बिरादरी से ही हैं। मैं आलोचना के खिलाफ नहीं हूं, जो चीज खराब होगा, उसकी आलोचना होनी चाहिए। यह ठीक भी है। आलोचाओं से हमें अपनी कमजोरियां नजर आने लगती हैं। मैं इसे सकारात्मक रूप से ही लेती हूं। फिल्म देखने के लिए मैं आलोचकों को शुक्रिया अदा करती हूं।

आपको बॉलीवुड में आए तीन साल हो गए हैं…फिल्मकारों और दर्शकों की आपसे अपेक्षाएं बढ़ गई हैं… यह सब सोचकर कैसा फील होता है?
जहां तक फिल्मों की बात है, मुझे हमेशा ही घबराहट होती है। मैं अपनी पिछली दोनों फिल्मों को लेकर भी नर्वस थी और ‘शुभ मंगल सावधान’ के लिए भी घबराहट होगी, क्योंकि यह एक टीम वर्क है। फिल्म सिर्फ मेरी वजह से ही नहीं चलती। एक अच्छी फिल्म वही होती है, जिसके पास एक मजबूत निर्देशक, कहानी और बेहतरीन कलाकार जुड़े होते हैं। मैं अपना काम सही ढंग से कर रही हूं। एक फिल्म को चलाने के लिए कई तरह की ताकतों को एक साथ मिलकर काम करना होता है। लोग मुझसे भी उम्मीद करते हैं, यही सोच कर नर्वस होती हूं और मैं खुश हूं कि लोगों को मेरा काम पसंद आ रहा है।

आगे क्या?
जोया अख्तर के साथ ‘बॉम्बे टॉकीज’ की है। हालांकि, यह नहीं पता कि यह कब रिलीज होगी, लेकिन उनके साथ काम करने में एक अलग किस्म की आजादी मिली है। यह प्यार और वासना के विषय पर 27 मिनट की एक शॉर्ट फिल्म है।

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