दरअसल, पोपटलाल को नौकरी जाने के बाद मायूस देख गोकुलधाम सोसायटी के सभी लोग उन्हें समझाते हैं। ऐसे में वह किसी भी नौकरी को स्वीकार करने के लिए तैयार हो जाते हैं। इस पर सोढ़ी उन्हें अपने गैराज में नौकरी का प्रस्ताव रखते हैं, जिस पर वह तुरंत हां कर देते हैं। क्योंकि पोपटलाल के जीवन में काफी उतार-चढ़ाव आ रहे हैं। लेकिन वह इस लड़ाई को हिम्मत से लड़ते हैं और उन्हें यह महसूस होता है कि कुछ नहीं करने से बेहतर है कि वह कुछ काम करें। इस कारण वे मैकेनिक का काम भी करने के लिए हां कर देते हैं।