1976 तक उन्होंने फिल्मों में लीड एक्ट्रेस का रोल प्ले किया। इसके बाद उन्हें लीड रोल मिलना बंद हो गए और वे फिल्मों में सपोर्टिंग रोल करने लगी। 1995 में उन्होंने एक्टिंग को अलविदा कह दिया। उन्होंने प्रोडक्शन कंपनी आकृति बनाई और इसके तहत टीवी सीरियल ‘पलाश के फूल’, ‘बाजे पायल’, ‘कोरा कागज’ और ‘दाल में काला’ जैसे शोज का प्रोडक्शन किया। वे सेंसर बोर्ड की पहली फिमेल चेयरपर्सन बनीं।
आशा ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘माता-पिता की मौत के बाद मैं एकदम अकेली हो गई थीं। सभी चीजें मुझे अकेले ही मैनेज करनी पड़ती थी। इसी वजह से मैं डिप्रेशन में चली गई थी। इतना ही इस दौरान मुझे सुसाइड करने का विचार भी आया। लेकिन, मैंने अपना इलाज करवाया और डिप्रेशन से बाहर आ पाई’। उन्होंने बताया, एक एक्टर को उसके फैन्स बहुत प्यार देते है, इसके बावजूद वो अकेलापन महसूस करता है।
बॉलीवुड की कई सुपरहिट फिल्मों में काम करने वाली आशा पारेख ने कभी शादी नहीं की। हां, उनका अफेयर आमिर खान के चाचा फिल्ममेकर नासिर हुसैन के साथ रहा, लेकिन दोनों की ही फैमिली के सम्मान को ध्यान में रखते हुए उन्होंने शादी नहीं की। आशा ने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘हां, नासिर साहब ही एकमात्र ऐसे आदमी थे जिनसे मैंने प्यार किया। मैं कभी भी घर तोडऩे वाली नहीं रही। मेरे और नासिर साहब की फैमिली के बीच कभी कोई अनबन नहीं हुई। मैं कभी हुसैन को उनकी फैमिली से अलग नहीं करना चाहती थीं, और इसी डर से मैंने शादी नहीं की’। उन्होंने बताया, ‘मेरी मां चाहती थी कि मेरी शादी किसी तरह से हो जाए। उस वक्त उन्होंने कोशिश भी की लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। मेरी इच्छा थी कि मैं शादी तब करूं जब मुझे मेरा मनपसंद पार्टनर मिले। ऐसा नहीं हुआ, इसलिए मैंने शादी नहीं की।
आशा की ऑटोबायोग्राफी ‘द हिट गर्ल’ को उन्होंने जर्नलिस्ट खालिद मोहम्मद के साथ मिलकर लिखा है। उनसे जब पूछा गया कि यदि आपकी बायोपिक बने तो किसे चाहेंगी आपका रोल निभाएं, तो उनका कहना था, वे चाहती है कि दीपिका पादुकोण , प्रियंका चोपड़ा या फिर आलिया भट्ट उनका कैरेक्टर निभाएं।