scriptएमबी चिकित्सालय : कितना भी बचाया पर भ्रष्टाचार छुप नहीं पाया | corruption in mb hospital, udaipur | Patrika News
उदयपुर

एमबी चिकित्सालय : कितना भी बचाया पर भ्रष्टाचार छुप नहीं पाया

भ्रष्टाचार के आरोपों को झूठा बताकर खुद को बेदाग बताने में जुटे एमबी चिकित्सालय के सभी दावों की फिर पोल खुल गई है। सीआईडी सहित अन्य विभागों को गुमराह करने वाले चिकित्सालय अधिकारियों की हकीकत परत दर परत सामने आ रही है।

उदयपुरJul 30, 2016 / 12:10 pm

madhulika singh

Temples Famous for Tantra

mb hospital

भ्रष्टाचार के आरोपों को झूठा बताकर खुद को बेदाग बताने में जुटे एमबी चिकित्सालय के सभी दावों की फिर पोल खुल गई है। सीआईडी सहित अन्य विभागों को गुमराह करने वाले चिकित्सालय अधिकारियों की हकीकत परत दर परत सामने आ रही है। चिकित्सालय के बीपीएल ड्रग स्टोर के नाम पर चेतना ड्रग डिस्ट्रीब्यूटर्स के इनवॉइस नंबर वी-00341 दिनांक 06.05.2016 खरीद वाले ‘ग्रोथ हार्मोन्स इंजेक्शनÓ की एमआरपी से अधिक लागत वाले बिल को प्रभारी चिकित्सा अधिकारी एवं नर्सिंग प्रभारी के हस्ताक्षर के बाद ही पास किया गया। विशेष बात यह रही कि इंजेक्शन देने के पूर्व छह मई को डिस्ट्रीब्यूटर्स की ओर से चिकित्सालय को उपलब्ध करवाए गए चालान में इंजेक्शन की एमआरपी को 7,176 रुपए ही बताया गया था, जबकि बिल में एमआरपी शून्य कर इसकी कीमत 8,668 रुपए तय की गई। कमीशन के खेल में उलझी व्यवस्था का ही नतीजा था कि सभी ने चालान की एमआरपी को दरकिनार कर मनमाने दाम वाले बिलों को बढ़ावा मिला है। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने 25 जुलाई के अंक में ‘गरीब के लिए दवा खरीद में डकार गए करोड़ों रुपए Ó शीर्षक से खबर प्रकाशित कर जिला प्रशासन एवं संभागीय आयुक्त का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था। 
औषधि नियंत्रक विभाग की जांच कमेटी ने सीडी डिस्ट्रीब्यूटर्स के बिलों में एमआरपी से अधिक लागत इंजेक्शन बेचने की पुष्टि की है। जांच दल के औषधि निरीक्षक सुरेश सामर ने बताया कि बिल में एमआरपी से अधिक बिलिंग की रिपोर्ट जयपुर भेजी गई है। प्रशासनिक निर्देशानुसार कार्रवाई तय की जाएगी। सामर ने बताया कि नकली कैथेटर मामले में चिकित्सालय की कार्रवाई और कंपनी को लिखा गया खत भी कब्जे में ले लिया है। कंपनी प्रतिनिधि ने नकली कैथेटर किसी और जगह के लिए बनाने की पुष्टि कर दी है। यह भी कहा कि गलती से यह पैकेट उदयपुर पहुंच गया था। जयपुर मुख्यालय से दिल्ली स्थित कंपनी के लिए भी कार्रवाई को आगे बढ़ाना तय हुआ है। 
अधिकृत ही नहीं डिस्ट्रीब्यूटर्स

चिकित्सालय की व्यवस्था के तहत स्थानीय खरीद की दशा में ‘ग्रोथ हार्मोन्स इंजेक्शनÓ की सप्लाई के लिए किसी और ड्रग डिस्ट्रीब्यूटर्स को अधिकृत कर रखा है। निविदा शर्तों के तहत इस डिस्ट्रीब्यूटर्स ने एमआरपी से 62.90 प्रतिशत कम दर में इस इंजेक्शन की सप्लाई की सालाना जिम्मेदारी ली हुई है। मगर नियमों को ताक में मुनाफा कमाने के लिए यह खरीद जान बूझकर सीडी डिस्ट्रीब्यूटर्स से की गई। 
सख्ती की सजा कार्यमुक्त

सीडी डिस्ट्रीब्यूटर्स के मामले में सख्ती दिखाना एवं जांच कमेटी बनाना सहायक औषधि नियंत्रक पर भारी पड़ गया। प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को एक आदेश जारी कर उन्हें उदयपुर की सेवाओं से मुक्त कर दिया। अब सहायक औषधि नियंत्रक ललित अजारिया केवल चित्तौडग़ढ़ का दायित्व संभालेंगे। 

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो