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कैफी और शबाना के रिश्तों पर बनी है फिल्म ‘मी रक्सम’, 21 अगस्त को होगा डिजिटल प्रीमियर

कैफी आजमी ( Kaifi Azmi ) के पुत्र बाबा आजमी ने ‘मी रक्सम’ ( Me Raqsam ) (मेरा नृत्य) नाम की फिल्म बनाई है, जो कैफी और शबाना ( Shabana Azmi ) के रिश्तों पर आधारित है। ‘मि. इंडिया’, ‘बेटा’ और ‘तेजाब’ जैसी कई कामयाब फिल्मों के कैमरामैन बाबा आजमी की बतौर निर्देशक इस पहली फिल्म का 21 अगस्त को जी5 पर डिजिटल प्रीमियर किया जाएगा।

मुंबईJul 23, 2020 / 09:06 pm

पवन राणा

कैफी और शबाना के रिश्तों पर बनी है फिल्म ‘मी रक्सम’, 21 अगस्त को होगा डिजिटल प्रीमियर

-दिनेश ठाकुर
पिता-पुत्री के रिश्तों पर हिन्दी में कई फिल्में बनीं और कई गीत रचे गए। साहिर लुधियानवी के दो बेहतरीन गीतों से कोई दूसरा गीतकार आगे नहीं जा पाया। इनमें से ‘बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले’ (नीलकमल) में पुत्री के सुखद भविष्य के लिए पिता की भावाभिव्यक्ति चरम को छूती है- ‘बीतें तेरे जीवन की घडिय़ां आराम की ठंडी छांव में/ कांटा भी न चुभने पाए कभी मेरी लाडली तेरे पांव में/ उस द्वार से भी दुख दूर रहे, जिस द्वार से तेरा द्वार मिले।’ मोहम्मद रफी इस गीत की रिकॉर्डिंग के बाद रो पड़े थे। दूसरा गीत ‘मेरे घर आई एक नन्ही परी’ साहिर ने ‘कभी-कभी’ के लिए लिखा। गौर करने वाली बात है कि साहिर ताउम्र कुंवारे रहे। यानी उनकी कोई बेटी नहीं थी। साहिर के समकालीन गीतकार और शायर कैफी आजमी जनवादी विचारों के लिए मशहूर रहे। अपनी पुत्री शबाना आजमी के लिए अभिनय की बुलंदी के रास्ते बनाने में उनका अहम योगदान था। पिता-पुत्री की इस जोड़ी के आत्मीय रिश्तों पर कुछ किताबें आ चुकी हैं। अब फिल्म की बारी है।

कैफी आजमी ( Kaifi Azmi ) के पुत्र बाबा आजमी ने ‘मी रक्सम’ ( Me Raqsam ) (मेरा नृत्य) नाम की फिल्म बनाई है, जो कैफी और शबाना ( Shabana Azmi ) के रिश्तों पर आधारित है। ‘मि. इंडिया’, ‘बेटा’ और ‘तेजाब’ जैसी कई कामयाब फिल्मों के कैमरामैन बाबा आजमी की बतौर निर्देशक इस पहली फिल्म का 21 अगस्त को जी5 पर डिजिटल प्रीमियर किया जाएगा। इसमें मरियम (अदिति सुबेदी) नाम की युवती की कहानी है, जो नृत्यांगना बनना चाहती है। पिता के सहयोग और प्रोत्साहन से उसका सपना पूरा होता है। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और दानिश हुसैन ने भी अहम किरदार अदा किए हैं। इसकी ज्यादातर शूटिंग कैफी आजमी के पैतृक गांव मिजवां (आजमगढ़) में हुई है।

बाबा आजमी बहन शबाना से तीन साल छोटे हैं। मां शौकत कैफी ने अपनी आत्मकथा ‘याद की रहगुजर’ में दोनों के बचपन के एक दिलचस्प किस्से का जिक्र किया है। इसके मुताबिक एक दिन स्कूल जाने से पहले दोनों नाश्ते के इंतजार में थे। बाबा को पहले जाना था, इसलिए शौकत ने शबाना की प्लेट से टोस्ट उठाकर बाबा को दे दिए। तैश में शबाना पहले तो बाथरूम में जाकर खूब रोईं, फिर बगैर नाश्ता किए स्कूल चली गईं। उनकी एक सहेली से शौकत को बाद में पता चला कि शबाना कह रही थी- ‘मम्मी बाबा को ज्यादा चाहती हैं।’ असलियत यह थी कि घर में वे पिता की लाडली थीं तो मां और भाई भी उन्हें बहुत चाहते थे। बताते चलें कि बाबा का असली नाम अहमर है। यह अरबी जुबान का शब्द है, जिसका मतलब है- सुर्ख, लाल, रक्तिम।

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