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मिल गया सबूत भारत में ही जन्मा शून्य

first ever radiocarbon dating on the Bakhshali manuscript, which contains hundreds of zeroes

Sep 15, 2017 / 12:07 pm

dinesh mishra1

कॉर्बन डेटिंग शून्य के बारे में सबसे पुराना हस्तलिपि साक्ष्य

नई दिल्ली। हम सभी जानते हैं कि सभी गणितीय सवालों के लिए जरूरी ‘शून्य’ की खोज भारत ने की थी। अब इस पर पश्चिम ने भी मुहर लगा दी है। दरअसल, शून्य के इस्तेमाल के बारे में पहली बार कार्बन डेटिंग के जरिए पता लगाया गया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक भारतीय किताब में दर्ज कॉर्बन डेटिंग से साबित किया है कि तीसरी या चौथी सदी की शुरुआत में ही इसकी खोज हो गई थी। जबकि इतिहासकारों का अभी तक मानना था कि भारत में शून्य का इस्तेमाल पांचवीं सदी से शुरू हुआ था। इसे शून्य के बारे में सबसे पुराना हस्तलिपि साक्ष्य माना जा रहा है। बखशाली हस्तलिपि में यह रिकॉर्ड दर्ज है कि शून्य का उस दौर में बखूबी इस्तेमाल होता था। यह हस्तलिपि 1881 में पाकिस्तान के पेशावर में बखशाली गांव के पास मिली थी, जो 1902 से बोडलियन लाइब्रेरी ऑफ ऑक्सफोर्ड में रखी गई थी।

अभी तक ग्वालियर था सबसे पुराना अभिलेख
अभी तक ग्वालियर में एक मंदिर की दीवार पर शून्य के जिक्र को ही सबसे पुराना अभिलेखीय प्रमाण माना जाता रहा है।

गणित के शुरुआती इतिहास में मिलेगी मदद
माना जा रहा है कि इस नए सबूत से गणित के शुरुआती इतिहास के बारे में मदद मिलेगी।

कई और सभ्यताओं में भी शून्य का इस्तेमाल
माया, बेबीलोन जैसी कई प्राचीन सभ्यताओं में भी शून्य का इस्तेमाल हुआ करता था।

शून्य पर भारत का एकाधिकार मजबूत
यह नई खोज भारत के लिए काफी मायने रखती है। क्योंकि जिस गोल आकृति का इस्तेमाल हम शून्य के तौर पर करते हैं, ठीक वैसा ही बखशाली प्रतिलिपि में भी इस्तेमाल हुआ है। दूसरा यह कि भारत इस तरह के शून्य विकसित करने का अपना दावा बरकरार रख सकता है।

ब्रह्मगुप्त की किताब में था शून्य का जिक्र
628 ईस्वी में भारतीय ज्योतिर्विद और गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने ब्रह्मस्फुटसिद्धांत नाम की किताब लिखी थी, जिसे शून्य के बारे में लिखी पहली किताब माना जाता है।

4 को होगा लंदन में प्रदर्शित
यह नया साक्ष्य लंदन के साइंस म्यूजियम में आगामी चार अक्टूबर को ‘प्रकाशित भारत: 5000 साल का विज्ञान’ आयोजन में प्रदर्शित होगा।

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