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वोट कम पड़े, लेकिन गिनती में अधिक मिले
यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने दिया है। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनके पांडेय पैरवी कर रहे हैं। उनका कहना है कि कुछ बूथों पर पड़े वोटों से अधिक वोट गिने गए। बता दें कि लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. संघमित्रा मौर्य ने सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव को कम मतों से पराजित किया था। धर्मेन्द्र यादव ने जब छानबीन की तो पाया कि मतगणना में गड़बड़ी हुई है। डॉ. संघमित्रा उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री हैं।
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शिकायत पर ध्यान नहीं दियाधर्मेन्द्र यादव का आरोप है कि बिल्सी विधानसभा क्षेत्र में 10 हजार वोट पड़े हैं, लेकिन वोटों की गिनती उससे अधिक हुई है। इस बारे में उन्होंने मतगणना के वक्त आपत्ति की थी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। याचिका में यह भी कहा गया है कि संघमित्रा मौर्य ने अपनी वैवाहिक स्थिति के बारे में चुनाव आयोग को गलत जानकारी है। इस कारण संघमित्रा की लोकसभा सदस्यता समाप्त की जाए।
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कम मतों से हुई हार
इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत करने से पहले धर्मेन्द्र यादव ने जिला निर्वाचन अधिकारी एवं जिलाधिकारी को भी नोटिस भेजा था। उन्होंने बदायूं में पत्रकार वार्ता कर मामले का खुलासा किया था। मतदान से पूर्व स्वामी प्रसाद मौर्य बदायूं में थे। पुलिस ने उन्हें बदायूं से बाहर जाने को कहा था। तमाम आरोपों के चलते बदायूं लोकसभा चुनाव सबकी नजर में आ गया था। आम धारणा यह थी कि धर्मेन्द्र यादव चुनाव जीतेंगे, लेकिन चुनाव परिणाम डॉ. संघमित्रा मौर्य के पक्ष में आया। इसके साथ ही विवाद शुरू हो गया था।