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तुर्की मूल की रज़िया को अन्य मुस्लिम राजकुमारियों की तरह सेना का नेतृत्व तथा प्रशासन के कार्यों में अभ्यास कराया गया, ताकि ज़रुरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके। रजिया को अपने भाइयों और शक्तिशाली तुर्क अमीरों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़ा। वह केवल 3 वर्ष का शासन कर पाई। इसके बाद रजिया को उसके ही सेवक अल्तुनिया ने 1239 में बंदी बना लिया और 1240 में रजिया सुल्तान की मौत हो गई।पंजाब के बठिंडा में स्थित देश के सबसे पुराने मुबारक किले का निमार्ण 90 से 110 ईस्वी के बीच किया गया था। इसके संस्थापक राजा डब थे जो वेना पाल के पूर्वज थे। इस किला मुबारक ने कई लड़ाइयों और आक्रमणों को अंजाम दिया गया। इसलिए यह किला बठिंडा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। इस किले को प्राचीन समय में तबार-ए-हिंद या भारत के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता था। इस किले का निर्माण सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने भी इस स्थल का दौरा किया था।
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किले की संरचनाअगर हम बात करें इसकी वास्तुकला की, तो आपको बता दें कि इस किले की वास्तुकला में इस्लामी शैली में निर्मित की गई है। किला मुबारक भारत के सबसे ऊंचे किलों में से एक है, जिसकी ऊंचाई 118 फीट है। इसके मुख्य परिसर के अंदर दो गुरुद्वारे भी हैं। इस किले को छोटी ईंटों से बनाया गया है।
यह किला बहुत ही खास है, लेकिन इसके खास होने की एक वजह और है। कहते हैं कि 1239 में इस किले में रजिया सुल्तान या सुल्तान को उनके ही सेवक अल्तुनिया ने बंदी बना दिया था। रजिया सुल्ताना मुस्लिम एवं तुर्की इतिहास की पहली महिला शासक थीं। इसी वजह से इस किले को रजिया सुल्तान किला के नाम से भी जाना जाता है।