करोड़ों की दवाओं की हुई आपूर्ति गौरतलब है कि साल 2004 से 2006 तक दवा खरीद मामले में उजागर हुए भ्रष्टाचार की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच पूरी कर ली है। मामले की कार्रवाई करने के बाद मौके से बदायूं के तत्कालीन तीन सीएमओ समेत सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जांच में ये भी सामने आया कि साल 2004 से 2006 तक बदायूं जिले में तैनात रहे सीएमओ ने अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से दवाओं की आपूर्ति को फर्जी नोटिशफिकेशन जारी किया गया था और मेडिकल स्टोर से करोड़ों रुपये की दवाओं की आपूर्ति करवाई गई थी।
यूपीडीपीएल को नहीं मिला मांगपत्र जांच में ये भी सामने आया कि साल 2004 से 2006 के बीच बदायूं सीएमओ की तरफ से यूपीडीपीएल को कोई भी दवा के लिए मांगपत्र नहीं मिला था और न ही यूपीडीपीएल ने किसी भी मेडिकल स्टोर को दवाओं की आपूर्ति के लिए कहा था। ऐसे में यह साफ है कि तत्कालीन सीएमओ ने अधिकारियों, कर्मचारियों व मेडिकल स्टोर संचालकों के साथ मिलकर करोड़ो रुपये का बंदरबांट किया था।
साल 2008 में हुआ घोटाले का पर्दाफाश बता दें कि साल 2004 से 2006 तक सभी सरकारी अस्पतालों को जाने वाली दवाओं में नकली दवाओं की खरीद भी की गई थी जिसका खुलासा साल 2008 में हुआ था। मामला जब सुर्खियों में आया तो शासन स्तर से जांच शुरू की गई। जिसके बाद 14 फरवरी साल 2008 को घोटाले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा लखनऊ को सौंपी गई थी।