scriptबदायूं में बेलगाम हुआ बुखार, अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत | fever become epidemic in budaun more than 60 people died | Patrika News

बदायूं में बेलगाम हुआ बुखार, अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत

locationबदायूंPublished: Sep 05, 2018 12:57:48 pm

Submitted by:

suchita mishra

 
बुखार के कारण बदायूं में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक इसके कारण 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

hospital

hospital

बदायूं। जिले में फैले बुखार ने कोहराम मचा दिया है। इसके कारण मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले के ग्रामीण इलाकों में हजारों लोग बुखार से तड़प रहे हैं, 60 से ज्यादा लोगों की मौत बुखार के कारण हो चुकी है। हर रोज ये आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। आलम ये है कि जिला अस्पताल मरीजों से पटा पड़ा है। मरीज जमीन और बेंचों पर बैठकर इलाज कराने को मजबूर हैं। लगातार हो रही मौतों के बाद स्वास्थ्य महकमे की नींद टूटी है। इसके बाद जिला मलेरिया अधिकारी वीके शर्मा के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दातागंज के भटौली, समरेर के कैल्हाई, म्याऊं के लभारी गांवों में एंटी लार्वा का छिड़काव कराया है व बीमार लोगों को दवाएं बांटी हैं।
अव्यवस्थाओं से पटा पड़ है जिला अस्पताल
बदायूं जनपद के ग्रामीण क्षत्रों में इन दिनों भीषण बुखार का प्रकोप फैला हुआ है। जनपद के ब्लॉक सलारपुर, जगत, मूसाझाग और दातागंज के लोग इस जानलेवा बुखार से सबसे जायदा पीड़ित हैं। दातागंज के सराए पिपरिया में 10 दिनों में 8 मौतें हो चुकी हैं। रहमा गांव में भी कई मौतें हो चुकी हैं। ग्रामीणों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का ये हाल है कि डॉक्टर महीने में एक ही बार आते हैं और कब चले जाते हैं पता ही नहीं चलता है। इस कारण हजारों लोग इलाज कराने जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। लेकिन अस्पताल में असुविधाओं का बोलबाला है। एक एक बेड पर दो या तीन मरीज हैं मरीजों को पूरी दवाइयां भी नहीं मिल पा रही हैं। कोई मरीज बेंच पर तो कोई जमीन पर लेटकर अपना इलाज़ करवा रहा है। बच्चों का वार्ड भी पूरी तरह भरा हुआ है। ऐसे में सीएमओ डॉ. आशाराम अवकाश पर चले गए हैं।

इस मामले में जिला अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि बारिश के कारण बुखार के मामलेे बढ़ गए हैं। बारिश से गंदगी और मच्छर बढ़ गए हैं। ज्यादातर मरीज टायफायड, मलेरिया के हैं। कुछ मामले डेंगू के भी आए हैं। खासतौर पर मरीज ग्रामीण इलाकों के हैं। इसके कारण बेड की भी कमी पड़ गई है। एक एक बेड पर दो दो मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है।

ट्रेंडिंग वीडियो