बदायूं

इस छोटी सी कहानी से आप जानेंगे कि आत्मविश्वास में कितनी शक्ति होती है

आपका आपसे अच्छा साथी, दोस्त, गुरु और हमदर्द कोई नहीं हो सकता।

बदायूंNov 16, 2018 / 06:39 am

अमित शर्मा

devki nandan

एक बादशाह सर्दियों की शाम जब अपने महल में दाखिल हो रहा था तो एक बूढ़े दरबान को देखा जो महल के सदर दरवाज़े पर पुरानी और बारीक वर्दी में पहरा दे रहा था।
बादशाह ने उसके करीब अपनी सवारी को रुकवाया और उस बूढ़े दरबान से पूछने लगा- “सर्दी नही लग रही ?”
दरबान ने जवाब दिया “बहुत लग रही है हुज़ूर ! मगर क्या करूँ, गर्म वर्दी है नहीं मेरे पास, इसलिए बर्दाश्त करना पड़ता है।”
“मैं अभी महल के अंदर जाकर अपना ही कोई गर्म जोड़ा भेजता हूँ तुम्हें।”
दरबान ने खुश होकर बादशाह को फर्शी सलाम किया और आजिज़ी का इज़हार किया।
लेकिन बादशाह जैसे ही महल में दाखिल हुआ, दरबान के साथ किया हुआ वादा भूल गया।
सुबह दरवाज़े पर उस बूढ़े दरबान की अकड़ी हुई लाश मिली और करीब ही मिट्टी पर उसकी उंगलियों से लिखी गई ये तहरीर भी ;
“बादशाह सलामत ! मैं कई सालों से सर्दियों में इसी नाज़ुक वर्दी में दरबानी कर रहा था, मगर कल रात आप के गर्म लिबास के वादे ने मेरी जान निकाल दी।”

सीख
सहारे इंसान को खोखला कर देते हैं। उसी तरह उम्मीदें कमज़ोर कर देती है, अपनी ताकत के बल पर जीना शुरू कीजिए, खुद की सहन शक्ति और ख़ुद की ख़ूबी पर भरोसा करना सीखें। आपका आपसे अच्छा साथी, दोस्त, गुरु और हमदर्द कोई नहीं हो सकता।
प्रस्तुतिः डॉ. आरके दीक्षित

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