एक बैड पर दो-दो मरीज गांवों में गंदगी और जल भराव से बीमारी बढ़ने लगी है, जिससे वयारल, मलेरिया, बुखार से खून की कमी हो रही है। कुछ लोगो को डेंगू भी हुआ है। जिसमें केवल बुखार के मरीजों की संख्या आधे से भी ज्यादा है। जिला अस्पताल में बेड की संख्या कम पड़ गयी है और एक-एक बेड पर दो-दो मरीज़ों का इलाज चल रहा है। अस्पताल में लापरवाही भी साफ दिखाई देती है, बहुत सारे मरीजों के बेड पर चादरें भी नहीं हैं।
दवाओं की कमी जिला अस्पताल में रोजाना 2500 के आसपास मरीज आ रहे हैं जिसमें आधे से ज्यादा मरीज बुखार के हैं। जिला अस्पताल में बेड की संख्या कम पड़ गयी है जिसके कारण एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज चल रहा है, इतना ही नहीं जिला अस्पताल में ज़रूरी दवाइयों की भारी कमी है जिसके चलते मरीजों को बाहर से भी दवाइयां लानी पड़ रही हैं। स्वास्थ्य विभाग इतना कुछ होने के बाद भी अभी तक नींद से जागा नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता तब सामने आयी जब उन्होंने संक्रामक बीमारियों को फैलने के लिए स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी मानने से इनकार कर दिया।