लोगों को उम्मीद थी कि आम बजट कुछ राहत और कुछ फायदेमंद खबरें लेकर आएगा, लेकिन संसद में पेश आर्थिक समीक्षा को देखकर लगता है कि बजट के अनुभव कड़वे भी हो सकते हैं। फिलहाल एलपीजी सब्सिडी के जरिये फिर से लोगों पर बोझ डालने की तैयारी की जा रही है। बाजार मूल्य से कम भाव पर दिए जाने वाले रसोई गैस सिलेंडर की संख्या वर्ष में मौजूदा 12 से घटाकर 10 करने की सिफारिश की गई है।
अभी तक सभी परिवार वर्षभर में सब्सिडी दर 419.26 रुपए पर 14.2 किलो के 12 एलपीजी सिलेंडर ले सकते हैं। सिलेंडर का बाजार मूल्य 575 रुपए है और साल में 12 से अधिक एलपीजी सिलेंडर लेने के लिए उपभोक्ताओं को बाजार भाव का भुगतान करना पड़ता है।
संसद में पेश आर्थिक सर्वे में कहा गया कि एलपीजी सिलेंडर की सब्सिडी को तार्किक किया जाए और सब्सिडी रेट पर ज्यादा से ज्यादा 10 सिलेंडर ही दिए जाएं। समीक्षा में घरेलू एवं कॉमर्शियल एलपीजी ग्राहकों पर टैक्स एवं शुल्क समान किए जाने का भी सुझाव दिया गया है। फिलहाल 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर पर कोई एक्साइज ड्यूटी नहीं है, जबकि इसी आकार के गैर-घरेलू एलपीजी सिलेंडर पर 8.0 फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगती है। इसके अलावा सब्सिडी वाले घरेलू सिलेंडर पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगती, जबकि कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर पर 5.0 फासदी इंपोर्ट ड्यूटी लगती है।
एलईडी लगाएंगे तो बचेंगे 45,000 करोड़
वित्तमंत्री अरूण जेटली ने आर्थिक समीक्षा 2015-16 में यह भी सुझाव दिए हैं कि अगर 77 करोड़ परंपरागत बल्बों तथा 3.5 करोड़ परंपरागत स्ट्रीट लाइटों को एलईडी में तब्दील कर दिया जाए तो बिजली की मांग में 21,500 मेगावाट की कमी आएगी। इससे सरकार को 45,000 करोड़ रुपए की बचत होगी। राष्ट्रीय एलईडी कार्यक्रम से भारत को लक्षित राष्ट्रीय प्रतिबद्ध योगदान (आईएनडीसी) के तहत अपनी उत्सर्जन गहनता को 2030 तक जीडीपी पर प्रति यूनिट 33 से 35 प्रतिशत की कटौती करने में मदद मिलेगी।
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