छोटे विवादों के लिए डीआरसी-
टैक्स पेयर के छोटे मामलों के लिए उन्हें अब अपील अधिकारियों के चक्कर नहीं काटने होंगे। इसके साथ ही उन्हें कई जगहों पर नहीं जाना होगा। ऐसे लोगों के लिए डीआरसी यानि विवाद समाधान समिति का गठन किया गया है। जो 10 लाख तक के विवाद और 50 लाख तक की आय के मामलों की सुनवाई करेगी। इसमें सीए या वकीलों के बिना भी सीधे पेश हुआ जा सकता है। यह समिति हर तरह के निर्णय लेने के लिए सक्षम होगी।
हाईकोर्ट जाने का रास्ता बंद-
बड़े मामलों में कारोबारी सेक्शन 148 में कमियां और उसके नियमों की खामियों का लाभ उठाकर हाईकोर्ट जाकर कार्रवाई पर स्थगन ले आते हैं। अब ऐसा संभव नहीं होगा। 148 में खामियां निकालने के रास्तों को बंद कर दिया गया है। सारे विवाद का निपटारा ही करना होगा, बजाय उसको हाईकोर्ट में उलझाने के।
अब काम नहीं आएगा चेहरा, फेसलेस ट्रिब्यूनल-
फेसलेस ट्रिब्यूनल को मंजूरी दी गई है। इससे सबसे बड़ा फायदा भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिलेगी। दरअसल, अभी तक ट्रिब्यूनल में बैठे लोगों से संपर्क के चलते कई केसों में निपटारा गलत तरीके से होने की गुंजाइश बनी रहती थी। इसी के तहत अब केस की सुनवाई आॅनलाइन होगी और केस कौन सा ट्रिब्यूनल सुनेगा, यह सुनवाई के दौरान ही पता चलेगा। ऐसे में भोपाल का केस जयपुर ट्रिब्यूनल सुन सकता है। जयपुर की सुनवाई चंडीगढ़ में हो सकती है। इससे संबंधों का फायदा उठाने की कोशिशों पर विराम लग सकता है।