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उम्‍मीदों का बजट: सोने पर आयात शुल्‍क घटाकर 5 फीसदी करने की मांग

locationनई दिल्लीPublished: Jan 25, 2018 02:45:16 pm

अगामी बजट से ज्‍वैलरी इंडस्‍ट्री को काफी उम्‍मीदें हैं।

Budget news

नई दिल्‍ली. जीएसटी लागू होने के बाद मोदी सरकार अपना पहला आम बजट पेश करने जा रही है। अगामी बजट से ज्‍वैलरी इंडस्‍ट्री को काफी उम्‍मीदें हैं। इनमें गोल्‍ड पर लगने वाले आयात शुल्‍क को कम करना, ज्‍वैलरी की बिक्री पर शुरू हो ईएमआई सिस्‍टम और हालमार्किंग अनिवार्य जैसे मांग शामिल हैं। मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के चेयरमैन अहमद एमपी ने पत्रिका से बताया कि अगामी बजट में उनके इंडस्‍ट्री की वित्‍त मंत्री से क्‍या-क्‍या मांग है।

आयात शुल्क 10 से घटाकर 5 फीसदी
एक और बजट आ रहा है। सामान्यतया अधिक उम्मीदों और उत्तेजना का माहौल है। अन्य सेग्मेंट की तरह गोल्ड उद्योग को भी कुछ अच्छी खबरों का इंतजार है। पहला और सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम संगठित रिटेलर्स की केंद्रीय बजट 2018-19 से उम्मीद होगी कि आयात शुल्क में कटौती की जाए। गोल्ड पर उंचे आयात शुल्क होने से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मूल्यों के बीच भारी भिन्नता को बल मिलता है। उंची दरों के कारण पीली धातु का मूल्य चुकाए बिना अनधिकृत शिपमेंट होता है और इस कमोडिटी को घरेलू ब्लैक मार्केट में भारी डिस्काउंट पर बेंचा जाता है। अनधिकृत गोल्ड सुलभ होने से ब्लैक मार्केटर्स को संगठित गोल्ड रिटेलर्स को गैर लाभ मूल्य पर ढ़केलने में मदद मिलती है, यह उनको बाजार में टिके रहने पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। आयात शुल्क मौजूदा स्तर 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करना उद्योग को आदर्श बजट उपहार होगा।
यह न केवल संगठित कारोबार के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित करेगा बल्कि कर चोरी रोकर सरकार के राजस्व में भी वृद्वि होगी। आयात शुल्क कम होने पर स्वभावतः सोने का अनधिकृत शिपमेंट कम आकर्षक होगा और इससे अधिक खिलाड़ी कारोबार के कानूनी और संगठित तरीकों की ओर मुडे़ंगे।

एक समान बोर्ड रेट तय किए जाएं
भारतीय बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन के नेशनल वीपी पी.एन. गदगिल ने बताया कि देश के मुख्य बाजारों में पीली घातु के मूल्य में भारी भिन्नता के कारण कई तिमाही से सोने का कारोबार गिरा है। जुलाई 2017 में जीएसटी शुरू होने से आलोचनाएं अधिक तीव्र हुई, क्योंकि लोगों का मानना है कि समान कर कोड से एक समान मूल्य को बढ़ावा मिलेगा। हकीकत में, कुछ को ही पता है कि सोने का मूल्य तय करने में गोल्ड रिटेलर्स की भूमिका बहुत कम होती है। इसलिए बजट के माध्यम से जो दूसरी घोषणा हो सकती है वह है सोने के पूरे बाजारों के लिए एक समान बोर्ड रेट तय करने की दिशा में एक पहल, जिसमें लागत को ध्यान में रखा जाए। मौजूदा सिस्टम, जो अभी कुछ मुट्ठीभर लोगों के हाथों में है, उसमें सरकारी प्रतिनिधियों को शामिल कर चुस्त दुरूस्त करना एक बड़ा कदम होगा।

फैक्टरियों के लिए लाइसेंस अनिवार्य हो
इसके अलावा उद्योग को चाहता है सरकार की ओर से कुछ और ठोस कदम उठाए जाए। स्वर्ण आभूषण उत्पादन इकाईयों एवं फैक्टरियों के लिए लाइसेंस अनिवार्य किया जाना चाहिए। जीएसटी की वसूली फैक्टरी गेट पर हो, बीआईएस हॉलमार्किंग सभी उत्पादन इकाईयों के लिए जरूरी हो, तथा पूरे गोल्ड वैल्यू चैन में एक ट्रैकिंग सिस्टम का अमलीकरण हो, जिसमें उंची कीमत के सौदों के लिए डिजिटल भुगतान अनिवार्य करना शामिल है, ऐसे कुछ अन्य सकारात्मक कमद है, जो उठाए जा सकते है।
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