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बुलंदशहर के स्याना गांव सोझना रानी निवासी ब्रह्मपाल सिहं भाटी (35) सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियो और सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। एनकाउंटर में ब्रह्मपाल सिहं और उनके साथियों ने तीन आतंकियों को भी मार गिराए था। इस बात की जानकारी सुबेदार श्याम सिहं ने शहीद ब्रह्मपाल सिहं भाटी के छोटे भाई ओमप्रकाश को फोन पर दी है। बता दें कि जवान की शहादत से बुलंदशहर के गांव सोझना रानी शोक में डूबा है। जवान का पार्थिव शरीर पैत्रिक गांव के लिए रवाना हो चुका है, लेकिन खबर लिखे जाने तक शव घर पर पहुंचा नहीं था।
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इस बीच अपनी प्रतिक्रिया में शहीद जवान के छोटे भाई ने कहा है कि मुझे अपने भाई पर बहुत गर्व है, क्योंकि वह देश के लिए शहीद हुए हैं। उन्होंने कहा कि गांव सोझना रानी में कई परिवारों के लडके हैं, जो भारतीय सेना की सेवा कर रहे हैं। अगर मुझे मौका दिया जाता है तो मैं भी सेना में शामिल हो जाऊंगा। उन्होंने कहा कि कहा कि मेरे पिता सूखपाल सिंह ने भी लंबे समय तक देश सेवा की है। उन्होंने बताया कि मेरे पिता ने सन् 62, 65 और 71 की लडाइयों में भी भाग लिया और देश की सेवा करने के बाद एक सेना नायक के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
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ब्रह्मपाल सिंह भाटी भारतीय सेना की 22 राजपूताना राइफल्स में 2004 में शामिल हुए और कश्मीर में तैनात थे। तैनाती के बाद आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में पांच आतंकियों को मार गिराया था। ओमप्रकाश ने बताया कि वह तीन महीने पहले अपने गांव छुटटी पर आए थे। छुटटी पर आने से पहले ब्रह्मपाल सिंह भाटी किसी मिशन पर साउथ अफ्रीका गए थे। बताया कि छुटटी खत्म होने के बाद ब्रह्मपाल जम्मू-कश्मीर भेज दिया गया था।
उन्होंने बताया कि मैंने अपनी मां भाबी और अपनी पत्नी को उनकी मृत्यु के बारे में अभी तक नहीं बताया है, क्योंकि मां की तबीयत ठीक नहीं है और मुझे नहीं लगता कि वह इस खबर को अच्छी तरह से ले सकेंगी। इसलिए मैं जितना भी कर सकता हूं, उतनी खबरों के बारे में उन्हें बताए जाने में देरी करने की कोशिश कर रहा हूं। परिवार का कहना है कि पार्थिव शरीर मंगलवार देर रात या बुधवार तक पहुंच जाएगा।