scriptजवान की शहादत पर भाई बोले, मुझे गर्व है कि मेरा भाई देश के काम आ सका | Brother of martyr army soldier says its a matter of proud for us | Patrika News

जवान की शहादत पर भाई बोले, मुझे गर्व है कि मेरा भाई देश के काम आ सका

locationबुलंदशहरPublished: Nov 07, 2017 09:37:27 pm

Submitted by:

Iftekhar

शहीद के पिता ने भी सन् 62, 65 और 71 की लड़ाइयों में भाग लिया था , छाटा भाई भी फौज में जाकर दुश्मनों से लेना चाहते हैं बदला

Army jawan

बुलंदशहर. शहीद के परिजन ब्रह्मपाल सिहं भाटी की शाहदत की खबर से अभी तक अनजान हैं। शहीद के छोटे भाई ओमप्रकाश ने शहीद हुए ब्रह्मपाल सिहं भाटी की शाहदत की खबर उनकी पत्नी, मां और भाभी को नहीं दी है। क्योंकि, उसकी मां अस्वस्थ है और जब तक शरीद का शव घर नहीं आ जाता, तब तक उसके बारे में किसी को भी बताने से मना किया हैं। बता दें कि ब्रह्मपाल सिहं भाटी जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सोमवार को शहीद हो गए थे। शहीद जवान ब्रह्मपाल सिंह अपने पीछे मां, पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए हैं। अपने छोटे भाई के साथ-परिवार में एकमात्र कमाने वाला सदस्य था। छोटे भाई का कहना हैं कि हमें गर्व है कि वह देश के लिए शहीद हुए, हालांकि, अभी वह सदमे में है, क्योंकि अब परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन के सिर पर ही आ पड़ी है।

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बुलंदशहर के स्याना गांव सोझना रानी निवासी ब्रह्मपाल सिहं भाटी (35) सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियो और सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। एनकाउंटर में ब्रह्मपाल सिहं और उनके साथियों ने तीन आतंकियों को भी मार गिराए था। इस बात की जानकारी सुबेदार श्याम सिहं ने शहीद ब्रह्मपाल सिहं भाटी के छोटे भाई ओमप्रकाश को फोन पर दी है। बता दें कि जवान की शहादत से बुलंदशहर के गांव सोझना रानी शोक में डूबा है। जवान का पार्थिव शरीर पैत्रिक गांव के लिए रवाना हो चुका है, लेकिन खबर लिखे जाने तक शव घर पर पहुंचा नहीं था।

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इस बीच अपनी प्रतिक्रिया में शहीद जवान के छोटे भाई ने कहा है कि मुझे अपने भाई पर बहुत गर्व है, क्योंकि वह देश के लिए शहीद हुए हैं। उन्होंने कहा कि गांव सोझना रानी में कई परिवारों के लडके हैं, जो भारतीय सेना की सेवा कर रहे हैं। अगर मुझे मौका दिया जाता है तो मैं भी सेना में शामिल हो जाऊंगा। उन्होंने कहा कि कहा कि मेरे पिता सूखपाल सिंह ने भी लंबे समय तक देश सेवा की है। उन्होंने बताया कि मेरे पिता ने सन् 62, 65 और 71 की लडाइयों में भी भाग लिया और देश की सेवा करने के बाद एक सेना नायक के रूप में सेवानिवृत्त हुए।

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ब्रह्मपाल सिंह भाटी भारतीय सेना की 22 राजपूताना राइफल्स में 2004 में शामिल हुए और कश्मीर में तैनात थे। तैनाती के बाद आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में पांच आतंकियों को मार गिराया था। ओमप्रकाश ने बताया कि वह तीन महीने पहले अपने गांव छुटटी पर आए थे। छुटटी पर आने से पहले ब्रह्मपाल सिंह भाटी किसी मिशन पर साउथ अफ्रीका गए थे। बताया कि छुटटी खत्म होने के बाद ब्रह्मपाल जम्मू-कश्मीर भेज दिया गया था।

उन्होंने बताया कि मैंने अपनी मां भाबी और अपनी पत्नी को उनकी मृत्यु के बारे में अभी तक नहीं बताया है, क्योंकि मां की तबीयत ठीक नहीं है और मुझे नहीं लगता कि वह इस खबर को अच्छी तरह से ले सकेंगी। इसलिए मैं जितना भी कर सकता हूं, उतनी खबरों के बारे में उन्हें बताए जाने में देरी करने की कोशिश कर रहा हूं। परिवार का कहना है कि पार्थिव शरीर मंगलवार देर रात या बुधवार तक पहुंच जाएगा।

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