बेगम के कहने पर बनवाया था ताजमहल प्रेम के प्रतीक की जब भी बात होती है तो निसंदेह ताजमहल का नाम और उसकी तस्वीर सभी के सामने उकर जाती है। प्रेम की यह गौरवशाली परंपरा को खुद में समेटे ताजमहल ही केवल एक ऐसी इमारत नहीं है। वेस्टर्न यूपी में ऐसे कई ताजमहल हैं जो प्रेम की कहानी का निशा बया करते हैं। फैजुल हसन कादरी कसेर गांव के रहने वाले थे। इनके कोई औलाद नहीं थे। एक दिन फैजुल हसन कादरी की पत्नी तज्जमुली बेगम ने कहा कि उनकी र्कोई संतान नहीं है। तज्जमुली बेगम ने उनसे कहा था कि एक ऐसी इमारत बनवानी चाहिए जिससे देखकर हमारे मरने के बाद भी लोग याद रखें। बेगम की मौत के बाद में फरवरी 2012 में घर के पास ही मिनी ताजमहल बनवाया, जबकि 2011 में फैजुल हसन कादरी की बेगम तज्जमुली बेगम की मौत हो गई थी।
कादरी अपनी बेगम से करते थे बेइंतहा मोहब्बत दिल्लह से 135 किलोमीटर दूर बुलंदशहर के डिबाई क्षेत्र के कसेरकलां गांव में मिनी ताजमहल बना कर फैजुल चर्चा में आए थे। पेशे से क्लर्क थे और रिटायरमेंट के बाद अपनी बेगम के साथ रहते थे। कभी किसी ने सोचा होगा कि शाहजहां की तरह अपनी बेगम की याद में ताजमहल बनवाएंगे। कादरी ने यह सच कर दिखाया। धन के अभवा के चलते मिनी ताज में अभी तक पत्थर नही लग सका है। हालाकि इससे बनवाने में उन्होेंने अपनी सभी जमा पूंजी लगा दी थी। इसके निर्माण में करीब 16 लाख रुपये खर्च उन्होंने किए थे। ये ताजमहल को बनवाने के लिए आगरा गए और ताजमहल देखा था। कारीगरों को से आगरा के ताज महल के डिजाइन की तरफ ही बनवाने के लिए कहा था। फैजुल हसन कादरी के पास कुछ रुपए तो बचत और प्रोविडेंट फंड के थे, लेकिन बाकी रकम का इंतजाम उन्होंने जमीन और अपनी मरहूम बीबी के गहने बेच कर किया। 18 महीनो में ढ़ाचा तैयार हुआ था। पैसे खत्म होने के कारण काम बंद करना पड़ा। लोगों ने उन्हें मदद की पेशकश की। मगर उन्होंने यह कह कर ठुकरा दी। जैसे जैसे उनके पास अपनी पेंशन के रुपए इकठ्ठे होते थे, वो बचा हुआ काम करवाते रहते थे।
ताजमहल में दफनाया गया शव गुरूवार देर रात बाइक की टक्कर से उनके सिर में गंभीर चोटें आईं थीं। 86 वर्षीय कादरी का अस्पताल पहुंचने से पहले ही खून बह गया था। उन्हें उपचार के लिए अलीगढ़ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए। शुक्रवार को उनकी मौत हो गई है। बेगम के शव को भी मिनी ताजमहल में दफनाया था। वहीं अब उनकी कब्र भी उसी ताजमहल में बनवाई गई थी।
अखिलेश यादव ने भी की थी मुलाकात
बता दें कि मिनी ताजमहल के चर्चे सुनने के बाद सूबे के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने उनसे मुलाकात भी की थी। साथ ही उन्होंने पैसे देने की बात भी कहीं थी। लेकिन कादरी ने मदद लेने से इंकार कर दिया था। कादरी ने मिनी ताज महल को वक्फ बोर्ड को दान दे दिया है ताकि इसका निर्माण शीघ्र पूर्ण हो सके।