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यह कहानी आज से 32 साल पहले की है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के जिला झेलम की कालोनी गुलजारी के रहने वाले आफताब आलम की बेटी फाखरा नौरीन की शादी वर्ष 1988 में बुलंदशहर के मामन चौकी निवासी नसीम के साथ हुई थी। उस समय निकाह करके फाखरा लांग टर्म वीजा पर भारत आई थी। फाखरा नौरीन ने बताया कि भारत आते ही उन्हाेंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर दिया लेकिन उन्हे भारतीय नागरिकता नहीं मिली और हर बार उसके वीजा की ही अवधि बढ़ाई गई। इस बीच भारत की नागरिकता लेने की प्रक्रिया लगातार चलती रही। इस तरह धीरे-धीरे 32 साल का एक लंबा समय बीत गया।ऑनलाइन पढ़ाई के लिए दिया स्मार्ट फोन, बच्चे ने खेला ऐसा गेम कि पिता के खाते से उड़ गए लाखों रुपए
अब शुक्रवार का दिन फाखरा के लिए खुशी लेकर आया। लखनऊ से एक सर्टिफिकेट एलआईयू ऑफिस में पहुंचा, जिसमें बताया गया कि फाखरा को भारत की नागरिकता दे दी गई है। शनिवार सुबह एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने फाखरा को कार्यालय में बुलाकर भारतीय नागरिकता का सर्टिफिकेट दिया। फाखरा ने जिस नागरिकता के लिए जवानी में आवेदन किया था वह उन्हे अब बुढ़ापे में मिली। यानी यह सर्टिफिकेट मिलने में उन्हे 32 साल का समय लग गया और 55 साल की फाखरा अब दादी बन चुकी हैं बावजूद इसके उन्हाेने सरकार का धन्यवाद किया है।कई बार फाइल गुम हुई फाखरा ने बताया कि 19 दिसंबर 1988 को शादी के बाद वह भारत आई थी। यहां आते ही भारतीय नागरिकता के लिए कोशिश की थी लेकिन उनकी फाइल गुम हो गई। इसके बाद वो फिर से पाकिस्तान गई और अपने कागजात लेकर यहां जमा किये। बावजूद इसके सफलता नहीं मिली बार-बार उनके कार्यों में अड़चनें आती रही। करीब पांच वर्ष पहले एक बार फिर उन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए अप्लाई किया जो अब है मिल गई है।
सरकार का जताया शुक्रिया
नागरिकता मिलने के बाद फाखरा के ससुराल के लोग भी काफी खुश हैं। वह सरकार का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। साथ ही बीते वर्षों में नागरिकता पाने के लिए की गई जद्दोजहद को भी याद कर रहे हैं। फाखरा ने बताया कि वे बीते 32 वर्षो में पाकिस्तान अपने घर आती जाती रही लेकिन तीन या चार साल में महीने या दो महीने के लिए ही जाती थी लेकिन अब भारत की नागरिकता मिलने के बाद वह काफी खुश हैं।