अधूरा पड़ा है मिनी ताज महल
दरअसल फैजुल हसन कादरी बे औलाद थे, लेकिन दोनो शाहजहां और मुमतज की तरह एक दूसरे से जीवन के 70 दशक पार करने के बाद भी बे पनाह मुहब्बत करते थे। यही वजह थी कि एक दिन तजमुल्ली के कहने पर फैजुल हसन कादरी ने पत्नी की याद में मिनी ताजमहल बनवाने का वायदा कर दिया था। कुछ साल बाद तजमुल्ली का निधन हो गया तो मिनी ताज में ही दफन कर बराबर में अपनी भी कब्र तैयार करा दी थी। साथ ही लोगों से कह दिया था कि बेगम के बराबर में ही मुझे भी दफन किया जाये, बस फिर क्या था फैजुल हसन कादरी जीवन के 80 बसंत देखने के बाद 21 वीं सदी के शाहजहां कहलाये जाने लगे।