दरअसल, रोहित बुलंदशहर जिले के जहांगीराबाद स्थित गांव जुगसाना कलां का रहने वाला है। जन्म से ही उसके दोनों हाथ नहीं है। इसलिए उसने अपने पैरों को इस काबिल बनाया है कि वह उनसे हाथों का काम ले सके। जब वह जहांगीराबाद के एसकेए जनता इंटर कॉलेज में हाईस्कूल की परीक्षा देना पहुंचा तो शिक्षक हैरान रह गए और सोचने लगे कि बिना हाथ के वह कैसे परीक्षा देगा। इस पर रोहित ने कहा कि वह अपने पैरों से भी हाथों की की तरह लिख सकता है। यह सुन परीक्षा केंद्र के प्रधानाचार्य सीपी अग्रवाल ने उसके बैठने के लिए अलग से व्यवस्था की।
वहीं जैसे ही परीक्षा शुरू हुई तो उसके साथ परीक्षा दे रहे अन्य छात्र यह देख चौंक गए कि वह अपने पैरों से लिखकर पेपर हल कर रहा है। बताया जा रहा है कि जुगसाना कलां के रहने वाले रोहित के पिता ओमपाल सिंह किसान हैं। रोहित को परीक्षा दिलाने आए आेमपाल ने बताया कि उनकी दो बेटी और दो बेटों है, जिनमें रोहित सबसे छोटा है। रोहित जन्माजात दिव्यांग है, लेकिन हाथ नहीं होने के बाद भी वह सभी काम अपने पैरों से आसानी से कर लेता है। उसकी इच्छा है कि वह बड़ा होकर परिवार का नाम रोशन करे। उन्होंने बताया कि रोहित पढ़ने में बहुत तेज है। उन्हें पूरा भरोसा है कि एक दिन वह उनका नाम जरूर रोशन करेगा।
वहीं, रोहित का कहना है कि हाथ नहीं हैं तो क्या हुआ उसके पैर तो हैं। वह अपने पैरों से भी सामान्य लोगों की तरह जीवन जी सकता है। उसका कहना है कि मुझे पता है कि मेरे जीवन बहुत कठनाइयां आएंगी, लेकिन मैं उनसे कभी हार मानने वाला नहीं हूं। मैं अपने पैरों से वे सभी काम कर सकता हूं, जो आम लोग अपने हाथों से लेते हैं। मैं पैरों से पढ़ाई के साथ ही कम्प्यूटर चला सकता हूं और खाना भी खा सकता हूं।