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संसद में तीन तलाक पर बिल पेश, मुस्लिम महिलाओं ने कहा- तीन नहीं, 10 साल की सजा का हो प्रावधान

locationबुलंदशहरPublished: Dec 28, 2017 04:23:52 pm

Submitted by:

Kaushlendra Pathak

लोकसभा में तीन तलाक को लेकर बिल पेश कर दिया गया। लेकिन, मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि बिल में सजा का प्रावधान कम है।

triple divorce bill Present in loksabha but Muslim women dont happy
बुलंदशहर। देश के सबसे जटिल सामाजिक मुद्दों में से एक तीन तलाक को गुरुवार को लोकसभा में पेश कर दिया गया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल को पेश किया। तीन तलाक के बिल को पेश करने के बाद कुछ राजनीतिक पार्टियों ने जहां विरोध शुरू कर दिया है। वहीं, कांग्रेस ने इस बिल का समर्थन किया है। गौरतलब है कि पास किए गए बिल में तीन तलाक देने वालों के लिए 3 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। वहीं, इस बिल के पास होने पर कुछ तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं ने सवाल भी खड़े किए हैं।
तीन नहीं, 10 साल की सजा का हो प्रावधान

22 अगस्त को कोर्ट ने सरकार को छह महीने के अंदर संसद में कानून बनाने के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश के बाद तीन तलाक पर कानून बनाकर सरकार ने गुरुवार को उसे लोकसभा में पेश कर दिया। बिल पास होने के बाद कुछ पीड़ित महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। बुलंदशह के सिकन्दराबाद की रहने वाली शायदा परवीन, शबनम और फरजाना का कहना है कि लोकसभा में पेश किए गए बिल में तीन साल की सजा का प्रावधान कम है, ऐसे लोगो के खिलाफ 10 साल की सजा का प्रावधान होनी चाहिए।
क्या कहना है पीड़िताओं का…

शबनम ने पत्रिका डॉट कॉम को बताया कि उसकी निकाह साल 2008 में अलीगढ़ के रहने वाले चांद मोहम्मद के साथ हुआ था। निकाह के तीन महीने बाद ही तीन बार तलाक बोलकर उसे तलाक दे दिया गया। बता दें कि शबनम अलीगढ़ जाकर अपने पति के घर के बाहर दरवाजा पर बैठने से चर्चाओं में आई थी। फिलहाल शबनम अपने पिता के पास सिकन्द्राबाद में रह रही हैं। वहीं, फरजाना का निकाह 2012 में नोएडा के कासना निवासी मो. कादिर से निकाह हुआ था। फरजाना की माने तो उसके पति मो. कादिर का किसी महिला से अवैध संबंध थे, जिसका वो विरोध करती थी। इसलिए मो. कादिर ने फरजाना को तीन बार तलाक बोलकर घर से निकाल दिया था। अब वह अपने पिता के घर सिकन्द्राबाद में रह रही हैं। इन पीड़ित महिलाओं का कहना है कि तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी खराब हो रही है। लोगों ने तीन तलाक को खेल समझ रखा है, ये खत्म होना चाहिए। पीड़िताओं का यह भी कहना है कि जिन महिलाओं को तलाक मिल चुका है, सरकार को उनके लिए भी कुछ करना चाहिए।
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