नगर पालिका ने 10 सितम्बर 1993 को नेहरु बालोउद्यान जनता को समर्पित किया था लेकिन परिषद ने इसकी सुध नही ली जिससे दिनो- दिन यह पार्क बदतर होता जा रहा है। पार्क में लगी पं जवाहर लाल नेहरु की प्रतिमा भी बेबसी के आंसू रो रही है। प्रतिमा पर पक्षियों की बीट और गदंगी जमा है, उसके चारो तरफ लगे फव्वारे सालों से खराब पड़े है। कमल के फूल में स्थापित सर्किल जीर्ण- क्षीर्ण हो चुका है।
अपराधिक तत्व जमा लेते है डेरा-
पार्क में लाइटे बंद पड़ी है। अंधेरे का फायदा उठाकर असामाजिक तत्व यहां डेरा जमा लेते है, विरोध करने पर झगड़े पर आमादा हो जाते है। पार्क में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नही पार्क के बाहर जो प्याऊ है वो भी बंद ही रहता है वहा आसपास गंदगी जमा है।
आजाद पार्क की चार दीवारी बहदहाल हो रही है। पार्क से सटा हंसा देवी माता मंदिर के बाहर कचरे के ढेर लगे है जिससे पार्क में आने वाले लोगो को श्वासं लेना भी दुभर हो जाता है। कई लोग यहां कार्यक्रमों का जुठन भी डाल जाते है। ग्राउंड के चारो तरफ लगी लोहे की जालियां भी टूट चुकी है।